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गरीबी कभी तुम्हारे सपनों में रोड़ा नहीं बन सकती,.... गवाही देती है मीराबाई चानू की यह तस्वीर

मणिपुर के मुख्यमंत्री के सलाहकार रजत सेठी ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर मीराबाई चानू की यह तस्वीर पोस्ट की है।

Written by: India TV Sports Desk
Published : July 28, 2021 18:23 IST
Poverty can never become a hindrance in your dreams.... This picture of Mirabai Chanu testifies
Image Source : AP Poverty can never become a hindrance in your dreams.... This picture of Mirabai Chanu testifies

कई लोगों को हमने यह कहते सुना है कि अगर मेरे पास पैसा होता तो मैं भी ऐसा कर सकता था, गरीबी मेरी कामयाबी के आड़े आ रही है। मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी कड़ी मेहतन और दृढ़ संकल्प के चलते ऐसी कई परेशानियों को पार कर अपने सपने पूरे करते हैं और देश का नाम ऊंचा करते हैं। ऐसी ही एक कहानी मणिपुर की मीराबाई चानू की है। एक छोटे से शहर से आने वाली इस खिलाड़ी ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में देश को पहला मेडल जीताकर नाम गर्व से ऊंचा किया है।

मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल जीता और वह पहली ऐसी खिलाड़ी बनी जिसने भारत को ओलंपिक के पहले दिन ही मेडल जीताया। इस जीत के साथ मीराबाई चानू की जिंदगी एकदम ही बदल गई। मणिपुर सरकार ने चानू को एक करोड़ रुपए की नकद धनराशी देने का ऐलान किया, वहीं डॉमिनॉस जैसी कई कंपनियों ने उनके लिए जिंदगी भर अपनी सर्विस फ्री में देने का ऐलान किया।

लेकिन इन सभी के बावजूद मीराबाई चानू अभी भी जमीन से जुड़ी हुई है। मीराबाई चानू की एक तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही जिसमें दो बाते देखने को मिल रही है। एक तो ये कि इतना नाम होने के बावजूद भी वह कितनी डाउन टू अर्थ है और दूसरा कि गरीबी कभी तुम्हारे सपनों का रोड़ा नहीं बन सकती।

मणिपुर के मुख्यमंत्री के सलाहकार रजत सेठी ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर मीराबाई चानू की यह तस्वीर पोस्ट की है। उन्होंने इसके साथ लिखा गरीबी कभी भी किसी के सपनों को हासिल करने का बहाना नहीं होती है। टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद मणिपुर में अपने घर में भारत की सबसे चहेती सैखोम मीराबाई चानू।

बता दे, 26 साल की भारोत्तोलक ने कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) से कर्णम मल्लेश्वरी के 2000 सिडनी ओलंपिक में कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन किया। इससे उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक के खराब प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकीं थीं।

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