नई दिल्ली। भारतीय पैरालम्पिक समिति (पीसीआई) की नई अध्यक्ष दीपा मलिक को लगता है कि प्रशासनिक मुद्दों के कारण भारतीय खिलाड़ियों को टोक्यो पैरालम्पिक-2020 से पहले काफी नुकसान हुआ है। दीपा ने कहा कि भारतीय पैरा-एथलीटों की समस्या खेल मंत्रालय से मान्यता मिलना और दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रहा मामला है।
दीपा ने कहा, "कोरोनोवायरस तो अब आया है, लेकिन संघ की मान्यता पांच महीने पहले ही रद्द की जा चुकी है। अगर ऐसा नहीं होता और प्रशासनिक गतिविधियां बिना किसी परेशानी के चलती रहती तो खिलाड़ियों को किसी तरह का नुकसान नहीं होता क्योंकि आंतरिक लड़ाइयां उनमें हैं जो खिलाड़ी नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, "इससे मैं हैरान हूं और दुखी भी क्योंकि अगर हमने पांच महीने नहीं गंवाए होते तो हमें पैरालम्पिक में कुछ और स्थान मिल जाते। यही होता है, अंत में खिलाड़ी को भुगतना पड़ता है और मैं नहीं चाहती कि खिलाड़ी भुगतें।"
खेल मंत्रालय ने सितंबर-2019 में नेशनल स्पोटर्स कोड के पालन में गड़बड़ियों के कारण पीसीआई की मान्यता रद्द कर दी थी और तत्कालीन अध्यक्ष राव इंद्रजीत सिंह को हटा दिया था। दीपा का चुनाव दिल्ली उच्च न्यायालय से मान्यता प्राप्त है और उन्होंने कहा है कि पीसीआई को उम्मीद है कि जरूरी कागजी कार्रवाई के बाद मान्यता मिल जाएगी।
उन्होंने कहा, "काम जारी है, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ निश्चित औपचारिकताएं बची हैं। एक बार जब यह सभी चीजें खत्म हो जाएंगी तो मैं नियुक्ति ले लूंगी। मुझे आधिकारिक तौर पर खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) का दौरा करना है। एक बार जब कागजी कार्रवाई हो जाएगी तो मैं आधिकारिक तौर पर यह सभी चीजें करूंगी।"
उन्होंने कहा, "अब जबकि हमें दिल्ली उच्च न्यायालय से मान्यता मिल गई है तो हम अपनी कागजी कार्रवाई कर रहे हैं। मैं कल बेंगलुरू में मुख्यालय गई थी जहां हमने सभी कागजों पर हस्ताक्षर किए और रजिस्ट्रार को जमा करा दिए। एक बार जब हम सभी कार्रवाई पूरी कर लेंगे तब खेल मंत्रालय के पास जाएंगे।"
दीपा ने कहा कि अब उनका ध्यान अब 19वें राष्ट्रीय खेलों पर है।
उन्होंने कहा, "अभी मेरा ध्यान राष्ट्रीय खेलों और राज्य स्तर के खेलों को आयोजित कराने पर है। मैसूर में होने वाली राष्ट्रीय चैम्पियनशिप पैरालम्पिक क्वालीफायार भी है। आंतरिक काम चल रहे हैं। हां, निश्चित तौर पर हमें सरकार से मिले फंड की कमी अखर रही है जो जल्दी आना चाहिए।"