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Exclusive| शारीरिक क्षमता, मानसिक द्रढ़ता और आत्मविश्वास, ये तीन फैक्टर सिंधु को बनाते हैं ख़ास- पूर्व एशियन चैम्पियन दिनेश खन्ना

सिंधु के गोल्ड मेडल जीतने और उनकी शानदार फॉर्म के बाद देशवासियों की उनसे आगामी टोक्यो 2020 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

Written by: Shubham Pandey @21shubhamPandey
Updated on: August 26, 2019 18:51 IST
PV Sindhu, Indian Shuttler- India TV Hindi
Image Source : PTI PV Sindhu, Indian Shuttler

पूरे देश में अपने गोल्ड की चमक बिखेरने वाली भारत की गोल्डन गर्ल बनी पी.वी. सिंधु को देखकर चाणक्य की एक लाइन याद आती है। कर प्रयास भाग मत, भाग मत कर प्रयास...जी हाँ सिंधु के 'सिल्वर गर्ल' से लेकर 'गोल्डन गर्ल' तक के सफर में ये लाइन सोलह आने खरी उतरती है। 

पिछले दो साल से सिंधु के रैकेट से चिड़िया गोली की रफ्तार से निकल रही थी मगर जब भी बड़ा मौका आता था सिंधु हार जाती थी। यही कारण था कि सिंधु के नाम वर्ल्ड चैम्पियनशिप में चार मेडल ( 2 सिल्वर, 2 ब्रोंज ) थे। लेकिन गोल्ड मेडल उनके हाथ नहीं लगा था। हालांकि 24 साल की पी.वी. सिंधु ने लगभग 4 से 5 मौके गंवाने के बाद आख़िरकार वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 24 कैरेट खरे सोने के तमगे को हासिल कर ही लिया।

सिंधु के गोल्ड मेडल जीतते ही पूरे देश में सुनहरी लहर दौड़ पड़ी थी। चारों तरफ से सिंधु को जीत के लिए बधाईयों का तांता सा लग गया। इसी बीच सिंधु की ही तरह भारत को पहली बार 1965 में एशियन चैम्पियन बनाने वाले पूर्व खिलाड़ी दिनेश खन्ना ने इंडिया टी. वी. से ख़ास बातचीत में सिंधु को बधाई के साथ-साथ कैसे उसने इस सुनहरे सफर को तय किया व खेल में क्या-क्या बदलाव किए, इन सभी विषयों पर ख़ास बातचीत की।

PV Sindhu, Indian Shuttler

Image Source : GETTY IMAGES
PV Sindhu, Indian Shuttler

वर्ल्ड चैम्पियनशिप के फाइनल मैच में सिंधु ने जापान की ओकुहारा को 21-7, 21-7 से सीधे सेटों में हराया। इस मैच में सिंधु के गेम की स्पीड देखने लायक थी। जिसको देखते हुए दिनेश खन्ना ने कहा, "सिंधु के गेम खेलने के अंदाज में बदलाव इंडोनेशिया ओपन में मैंने देखा था। जब वो फ़ाइनल मैच में जापान की अकाने यामागुची से हारी थी। उस समय से ही अगर आप देखेंगे तो वो पहले अंक को ज्यादातर डिफेंड करती थी लेकिन अब सिंधु रिएक्ट ज्यादा करती हैं। उनको मैच में अंक कैसे अर्जित करना है अपने शॉट से गेम को चलाती है। जिसके कारण फ़ाइनल मैच में ओकुहारा सिर्फ उन्हें फॉलो ही करती रही।"

इसी साल मार्च माह में बैंडमिंटन की सबसे बड़ी प्रतियोगिताओं में से एक ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप में सिंधु पहले राउंड से बाहर हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी वापसी करते हुए अपने खेल का दबदबा पूरे विश्व पर कायम कर दिया है। सिंधु जब ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप 2019 में हारी तो उसके बाद किसी ने नहीं सोचा होगा कि सिर्फ चार से पांच महीने में वो इतना बड़ा इतिहास रच देंगी। इसके पीछे सिंधु  की कोरियाई कोच किम जी ह्यून का भी हाथ है। जिसके बारें में मैच जीत के बाद सिंधु ने खुद जिक्र किया था।

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Image Source : TWITTER- @BAI
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इस कोच ने ही सिंधु को ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी अच्छे से तैयार किया। इसके बारे में दिनेश खन्ना ने कहा, "सिंधु इस समय मानसिक तौर पर काफी मजबूत हैं। जिसकी परीक्षा वर्ल्ड चैम्पियनशिप के क्वार्टरफाइनल में ताई जू यिंग के खिलाफ देखने को मिलती है। इस मैच में पहला गेम हारने के बाद दूसरा गेम 23-21 से जीता और तीसरा गेम भी 21-19 से जीता। ऐसे गेम आप तभी जीत सकते हैं जब शारीरीक और मानसिक रूप से पूरी तरह मजबूत है। मेरे ख्याल से आत्मविश्वास, शारिरीक क्षमता और मानसिक मजबूती यही तीन फैक्टर सिंधु को आज इस मुकाम तक ले गए हैं।"

जाहिर सी बात है कि सिंधु के गोल्ड मेडल जीतने और उनकी शानदार फॉर्म के बाद देशवासियों की उनसे आगामी टोक्यो 2020 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीदें बढ़ गई होंगी। जिसको लेकर इस पूर्व खिलाड़ी दिनेश खन्ना ने कहा, "वर्ल्ड चैम्पियन बनना और गोल्ड मेडल जीतने से सिंधु का आत्मविश्वास ओलंपिक खेलों के लिए सांतवे आसमान पर होगा लेकिन अब लोगों की सिंधु से अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं। जिसके चलते अब सिंधु को कहीं ना कहीं मानसिक तौर और मजबूत होना पड़ेगा। इस बात का ओलंपिक के लिए विशेष रूप से ध्यान रखना होगा।"

PV Sindhu, Indian Shuttler

Image Source : AP
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अंत में उन्होंने सिंधु के गोल्ड मेडल जीतने पर बधाई देते हुए कहा, "फ़ाइनल मैच में बिल्कुल तूफ़ान जैसे तिनके को उड़ा देता है ठीक उस तरह से सिंधु ने ओकुहारा को पराजित किया। जैसे ही सिंधु ने गोल्ड मेडल पहना मेरी छाती गर्व से चौड़ी हो गई। हम सभी को सिंधु की उपलब्धि पर बहुत अधिक गर्व है।"

इस तरह रियो ओलम्पिक 2016 में फाइनल मैच हारने और 'सिल्वर गर्ल' बनने के बाद भारतीय स्टार शटलर पी.वी. सिंधु ने बैडमिंटन के कोर्ट में अपना प्रयास जारी रखा और इस कीर्तिमान को रचने वाली पहली 'गोल्डन गर्ल' बनकर देश वापस लौटी।

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