पेरू पर फुटबॉल विश्व कप का रंग चढता जा रहा है जिसका अंदाजा वहां जेल कैदियों के बीच हुए ‘विश्व कप’ के मुकाबले से लगाया जा सकता है। पिछले सप्ताह लीमा के बड़े स्टेडियम में हुए रोमांचक मुकाबले में पेरू ने रूस को पेनल्टी शूटआउट में हराया। रूस में इस महीने शुरू हो रहा विश्व कप की तरह यह असली मैच नहीं था लेकिन मुकाबले की गंभीरता में कहीं से कोई कमी नहीं दिखी।
पेरू ने 36 साल के बाद विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया है जिसके बाद वहां फुटबॉल का खुमार चरम पर है। यह फुटबॉल टूर्नामेंट अतिसंवेदनशील जेलों के कैदियों के लिए थोड़े समय के लिए ही सही आजादी का खुशनुमा पल भी लेकर आया। टूर्नामेंट में देश के अलग-अलग जेलों की फुटबॉल टीमें बनाई गईं जिनका नाम विश्व कप में भाग लेने वाले देशों पर रखा गया। कैदियों का नाम टीम के खिलाड़ियों के नाम पर रखा गया था।
सभी मैच से पहले उन देशों के राष्ट्रीय गान भी बजाया गया और सभी नियम विश्व कप के मैचों की तरह थे। पेरू का नेतृत्व ‘लुरिगांचो जेल’ ने किया जिसने फाइनल में रूस (चिम्बोटे जेल) को मात दी। भारी सुरक्षा के बीच खेले गये टूर्नामेंट के विजेता टीम के ईनाम में कप, स्वर्ण पदक और खेल परिधान दिये गये।