टोक्यो। प्रमोद भगत ने पैरालंपिक खेलों के बैडमिंटन स्पर्धा में देश के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतने के बार कहा कि यह उनके लिए ‘यादगार क्षण’ है। उन्होंने शनिवार को फाइनल में ब्रिटेन के डैनियल बेथेल के खिलाफ अपनी जीत का श्रेय एक रणनीति को दिया, जिसे उन्होंने अतीत में उसी प्रतिद्वंद्वी से हारने के बाद तैयार किया था। मौजूदा विश्व चैम्पियन भगत ने पुरुष एकल एसएल3 वर्ग के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराया। उन्होंने दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी के खिलाफ रोमांचक मुकाबले में 21-14 21-17 से जीत दर्ज की। इसी वर्ग के तीसरे स्थान के प्लेऑफ में मनोज सरकार ने कांस्य पदक अपने नाम किया। उन्होंने जापान के दाइसुके फुजीहारा को मात दी। बैडमिंटन इस साल पैरालंपिक खेलों में पदार्पण कर रहा है। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी भगत इस तरह खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गये।
शीर्ष वरीय खिलाड़ी ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा, ‘‘यह मेरे लिए बहुत ही गर्व का क्षण है। मैं भारतीय बैडमिंटन समुदाय और समग्र रूप से भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं।’’
ओडिशा के 33 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘यह पहली बार है कि पैरा बैडमिंटन पैरालंपिक खेलों का हिस्सा बना है और भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतना मेरे लिए यादगार पल है।’’
चार वर्ष की उम्र में पोलियो के कारण उनका बायां पैर विकृत हो गया था । भगत ने इसके साथ ही 2019 में बेथेल से जापान पैरा बैडमिंटन में मिली शिकस्त का बदला भी चुकता कर लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने दो साल पहले जापान में इसी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ खेला था और मैं हार गया था। वह मेरे लिए सीखने का मौका था। आज वही स्टेडियम और वही माहौल था। मैंने जीतने की रणनीति बनाई। मैं इसके लिए बहुत दृढ़ निश्चयी था।’’
रणनीति के बारे में भगत ने कहा, ‘‘मेरा ध्यान पूरे मैच को जीतने के बजाय शटल को हर बार सही तरीके से मारने पर था। मेरे लिए हर अंक कीमती था।’’
अभी वह मिश्रित युगल एसएल3-एसयू5 वर्ग में कांस्य पदक की दौड़ में बने हुए है। भगत और उनकी जोड़ीदार पलक कोहली रविवार को कांस्य पदक के प्लेऑफ में जापान के दाईसुके फुजीहारा और अकिको सुगिनो की जोड़ी से भिड़ेंगे। ए
सएल3-एसयू5 वर्ग में भगत और पलक की जोड़ी को सेमीफाइनल में इंडोनेशिया की हैरी सुसांतो एवं लीएनी रात्रि आकतिला से 3 - 21, 15 - 21 से हार का सामना करा पड़ा।