नई दिल्ली। भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण कई लोगों की नौकरी खतरे में होगी तो वहीं कई लोगों की वेतन में कटौती होगी लेकिन यह ऐसे कड़वी दवा है जिसकी घूंट पीते हुए आम आदमी को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहने के तरीकों को खोजना होगा। कोविड-19 महामारी के कारण भारत में 120 जबकि दुनिया में 80,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी है।
ब्रिटेन में आयोजित आल इंग्लैंड टूर्नामेंट में भाग लेने के बाद देश लौट कर तीन सप्ताह पृथकवास में बिताने वाले गोपीचंद ने कहा कि इस वैश्विक मंदी का असर खेलों पर भी पड़ेंगा। उन्होंने लोगों से सकारात्मक तरीके से इसका सामना करने का आह्वान किया। भारतीय कोच ने पीटीआई से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि दुनिया आगे बढ़ रही है और हर किसी का करियर उसके लिए महत्वपूर्ण है, चाहे आप एक छात्र हों, पत्रकार हों या खिलाड़ी हों लेकिन यह लॉकडाउन एक खास कारण के लिए है और मुझे लगता है कि हमें इसका पालन करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ निश्चित रूप से बड़ी आबादी इसकी चपेट में आयेगी और सिर्फ खेल को नहीं बल्कि यह हर किसी को नुकसान पहुंचाएगा। हमें खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट बनाये रखने के लिए सकारात्मक रहना होगा और नये तरीके खोजने होंगे।’’
इस लॉकडाउन का आर्थिक असर दुनिया भर के खेलों पर पड़ रहा है जिसमें फुटबाल और क्रिकेट भी शामिल है। कई टीमें खिलाड़ियों के वेतन में कटौती कर रहीं है। गोपीचंद ने कहा कि इस आर्थिक मंदी से खेल भी अछूता नहीं रहेगा लेकिन पहले हमें खुद को बचाना हो। इन चीजों के बारे में बाद में सोचा जा सकता है। उन्होने कहा, ‘‘ खेल पर भी इसका असर होगा। कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। कई को वेतन कटौती का सामना करना पड़ सकता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने वेतन कटौती की घोषणा की और मुझे लगता है कि हम सभी को यह करना होगा। यह कठिन समय है और सभी को यह समझने की जरूरत है’’