Friday, November 22, 2024
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On This Day : जानिए क्यों हर साल भारत में 29 अगस्त को मनाया जाता है 'राष्ट्रीय खेल दिवस'

29 अगस्त को मेजर ध्यांचाद का जन्मदिन पूरे देश में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें देश के राष्ट्रपति, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे अवार्ड नामित खिलाड़ियों और उनके कोचों को देते हैं।

Written by: India TV Sports Desk
Updated on: August 29, 2020 9:48 IST
Major Dhyanchand- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Major Dhyanchand

भारत में इन दिनों भले ही क्रिकेट का खुमार सबके सर चढ़ बोल रहा हो लेकिन एक जमाना था जबा लोग क्रिकेट बैट की जगह गलियों में हॉकी लिए घुमा करते थे। सबका एक ही सपना होता था कि उन्हें भी मेजर ध्यानचंद जैसी हॉकी खेलनी है। जिन्हें पूरी दुनिया में हॉकी का जादूगर माना जाता था और उन्होने भारत को ओलंपिक जैसे खेलों में कई गोल्ड मेडल भी जिताए। यही कारण है कि आज 29 अगस्त उनका जन्मदिन पूरे देश में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। जिसमें देश के राष्ट्रपति, राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसे अवार्ड नामित खिलाड़ियों और उनके कोचों को देते हैं।

हॉकी के सौदागर व भगवान माने जाने वाले ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद शहर में एक राजपूत परिवार में हुआ था। हॉकी स्टिक में सपना संजीये ध्यानचंद ने जब एक बार खेलना शुरू किया तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और भारतीय हॉकी को 1928, 1932 और 1936 तीनों ओलंपिक में गोल्ड मेडल जिताया। 

1936 बर्लिन ओलंपिक में हिटलर भी मान गया हार 

ध्यानचंद के करियर में वैसे तो सभी ओलंपिक यादगार रहे लेकिन साल 1936 का बर्लिन ओलंपिक काफी यादगार माना जाता है। जब उन्होंने अपनी कला के आगे जर्मनी के हिटलर तक के घुटने टिकवा दिए। अलिगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़े ध्यानचंद की कप्तानी में भारतीय टीम बर्लिन पहुंची। जहां एक बाफ फिर सभी को अपनी टीम से गोल्ड की उम्मीद थी। इस तरह फ़ाइनल में भारत का मुकाबला उसी जर्मन चांसर एडोल्फ हिटलर की टीम जर्मनी से हुआ। जिसे देखने हिटलर खुद मैदान में आए थे। 

इस मैच के पहले हाफ में भारतीय टीम एक भी गोल नहीं कर पायी थी लेकिन दूसरे हाफ में भारतीय हॉकी टीम ने गोल दागने शुरू कर दिए। इस तरह जर्मनी की हार और ध्यानचंद का जादू देख हिटलर स्तब्ध रह गया था। उसने मैच के दौरान मेजर ध्यानचंद की हॉकी स्टिक भी चैक करने के लिए मंगवाई। हलांकि उसमें कुछ नहीं निकला और भारत ने हॉकी में लगातार दूसरा ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता। 

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बता दें कि ध्यानचंद का सफर सिर्फ भारत को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जिताने तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने हॉकी की फील्ड में अपने करियर के दौरान कुल 400 से अधिक गोल किए। जबकि भारत सरकार ने उन्हें 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया। तबसे लेकर आज तक उनके जन्मदिन यानी 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

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