पेरिस। कोरोनावायरस के कहर से पूरा खेल जगत ठप पड़ा है। ऐसे में सभी फैन्स काफी निराश दिखाई दे रहे हैं। यूरोप में खचाखच भरे स्टेडियम में अंतिम फुटबॉल मैच एक महीने पहले खेला गया था और कोरोना वायरस के कारण अभी जो स्थिति बनी हुई है कि उसे देखते हुए कोई भी यह नहीं कह सकता है कि विश्व भर में बेहद लोकप्रिय इस खेल की कब वापसी होगी।
ग्लास्गो में 12 मार्च को इबरॉक्स स्टेडियम में 50 हजार दर्शक मौजूद थे। यूरोपा लीग के इस मैच में बेयर लीवरकुसेन ने रेंजर्स को 3-1 से हराया था। उस रात को कुछ अन्य मैच भी खेले गये थे लेकिन वे सभी बंद स्टेडियमों में हुए थे। तब से लेकर 31 दिन बीत गये हैं और पूरे यूरोप में तस्वीर अब भी बेहद निराशाजनक है। यूरोप में इटली, स्पेन, फ्रांस और यूनाईटेड किंगडम सबसे प्रभावित देश हैं।
सभी देशों में पिछले कई सप्ताह से लॉकडाउन चल रहा है। दर्शकों के सामने खेल की शुरुआत तो छोड़िये कोई यह भी नहीं जानता कि बंद स्टेडियमों में यह खेल कब शुरू हो पाएगा। वर्तमान स्थिति के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का मतलब है कि कई लोग अब भविष्य में फुटबाल मैचों के दौरान स्टेडियम में भीड़ के बीच जाने से पहले कई बार विचार करेंगे। प्रीमियर लीग को जब 13 मार्च को निलंबित किया गया था तब लिवरपूल के कोच जुर्गेन क्लॉप ने कहा, ‘‘आज फुटबाल और फुटबाल मैच वास्तव में महत्वपूर्ण नहीं रह गये हैं। ’’
यह क्लब उन टीमों में शामिल है जिसे मैचों के निलंबन से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। वह पिछले 30 वर्षों में पहली बार इंग्लिश प्रीमियर लीग का खिताब जीतने के करीब था। अभी यह सुनिश्चित नहीं है कि लिवरपूल का यह सपना पूरा भी हो या पाएगा या नहीं क्योंकि सरकार ने साफ किया है कि इंग्लैंड में तब तक फुटबाल की वापसी नहीं होगी जब तक कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आ जाती।
यूरोपीय फुटबाल की सर्वोच्च संस्था यूएफा हालांकि अब भी उम्मीद लगाये हुए है कि सभी लीग अपना सत्र पूरा करने में सफल रहेंगी। इसके लिये वह जुलाई-अगस्त में खेलने की संभावना भी तलाश रही है। यूएफा अध्यक्ष अलेक्सांद्र सेफरिन ने कहा कि लिवरपूल को प्रीमियर लीग खिताब से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैच नहीं हो पाते हैं तो हमें कोई दूसरा रास्ता निकालना होगा।’’