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ईंट और बालू ढोने को मजबूर नेशनल चैम्पियन खिलाड़ी सरिता, सरकार को नहीं कोई सुध

कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरी दुनिया वित्तीय संकट का सामना कर रही है जिससे खेल जगत और खिलाड़ी भी अछूते नहीं है

Written by: India TV Sports Desk
Published : August 01, 2020 11:40 IST
ईंट और बालू ढोने को...- India TV Hindi
Image Source : PRABHAT KHABAR ईंट और बालू ढोने को मजबूर नेशनल चैम्पियन खिलाड़ी सरिता, सरकार को नहीं कोई सुध

कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरी दुनिया वित्तीय संकट का सामना कर रही है जिससे खेल जगत और खिलाड़ी भी अछूते नहीं है। इस संकट के समय में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो अपना और परिवार का पेट भरने के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं। ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं सरिता तिर्की जो जीवन-यापन के लिए ईंट व बालू ढोने के लिए मजबूर है।

झारखंड की रहने वाली सरिता तिर्की लॉनबॉल खिलाड़ी हैं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में गोल्ड समेत कई मेडल जीतकर भारत और अपने प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं। इसके बावजूद सरिता को अपना घर चलाने के लिए मजदूरी करनी पड़ रही है। इस मुश्किल घड़ी में राज्य सरकार की तरफ से भी इस खिलाड़ी को कोई मदद नहीं मिल रही है।

प्रभात खबर की जानकारी के मुताबिक, मजदूरी करने से पहले सरिता ने घर चलाने के लिए आया का काम किया और फिर चाय-पकौड़े की दुकान भी खोली, लेकिन जब कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लगा, तो उनकी दुकान बंद हो गयी। इसके बाद उन्हें ईंट-बालू ढोने को मजबूर होना पड़ा।

सरिता को बतौर खिलाड़ी भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली सरिता नेशनल गेम्स में 2 गोल्ड समेत 3 मेडल अपने नाम किए हैं। इसके अलावा उन्होंने लगातार 3 साल नेशनल लॉनबॉल चैंपियनशिप (2015, 2017, 2019) में गोल्ड मेडल जीता।

खेल की दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा चुकी सरिता को अभी तक राज्य सरकार की ओर से मदद का कोई आश्वासन नहीं मिला है। पिछले साल ऑस्ट्रेलिया में आयोजित एशिया-पैसिफिक चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए भी सरिता के पास पैसे नहीं थे जिसके बाद उन्होंने साथी खिलाड़ी और अन्य लोगों से करीब 1.5 लाख रुपये उधार लेने पड़े।

यही नहीं, प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उन्हें जूते भी उनके कोच मधुकांत पाठक से पैसे उधार लेकर खरीदने पड़े। उन्हें उम्मीद थी कि खेल विभाग से आर्थिक मदद मिलने पर वह ये कर्ज चुका देंगी लेकिन उन्हें अभी तक किसी भी तरह कोई मदद नहीं मिली है।

नेशनल गेम्स और अन्य प्रतियोगिताओं मे मेडल जीतने पर सरकार ने उन्हें 3 लाख 72 हजार का पुरस्कार देने का वादा किया था लेकिन अब तक इस खिलाड़ी को कुछ नहीं मिला है। इस वादे के चलते उनका नाम कैश अवॉर्ड और स्कॉलरशिप में भी शामिल नहीं किया गया।

सरिता तिर्की से पहले कोरोना संकट में कई ऐसे खिलाड़ियों की बदहाल स्थिति की खबरें सामने आ चुकी हैं जो अपना पेट पालने के लिए मजदूरी और अन्य छोटे-मोट काम कर रहे हैं।

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