Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. खेल
  3. अन्य खेल
  4. कोरोना के खिलाफ जंग में धीमी पड़ी मिल्खा सिंह की रफ्तार, जानें कैसे मिला उन्हें 'फ्लाइंग सिख' का नाम

कोरोना के खिलाफ जंग में धीमी पड़ी मिल्खा सिंह की रफ्तार, जानें कैसे मिला उन्हें 'फ्लाइंग सिख' का नाम

बचपन से ही दौड़ने का शौक रखने वाले मिल्खा सिंह ने अपने भाई मलखान सिंह के कहने पर सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया और चौथी कोशिश के बाद साल 1951 में सेना में भर्ती होने में सफल रहे।

Written by: India TV Sports Desk
Updated : June 19, 2021 17:53 IST
Milkha Singh's speed slowed in the war against Covid-19, know how he got the name 'Flying Sikh'
Image Source : TWITTER/@PHOGATRITU Milkha Singh's speed slowed in the war against Covid-19, know how he got the name 'Flying Sikh'

पद्मश्री से सम्मानित फर्राटा धावर मिल्खा सिंह ने अपनी तेज तर्रार रफ्तार के चलते भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया। अपनी इस खासीयत की वजह से वह भारत को एशियाई खेलों में 4 स्वर्ण पदक और राष्ट्रमंडल खेल में एक गोल्ड मेडल जिताने में सफल रहे, लेकिन शुक्रवार रात उनकी रफ्तार कोरोना के खिलाफ जंग में धमी पड़ गई और 91 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली।

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर 1929 गोविंदपुरा (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं) में हुआ था। उनका बचपन बेहद ही कठिन दौर से गुजरा था, बंटवारे के समय उन्होंने अपने माता-पिता समेत कई परिजनों को खो दिया था, जिसके बाद वह अपनी बहन के साथ भारत में रहने लगे थे। बताया जाता है कि बंटवारे के समय मिल्खा सिंह अपनी जान बचाकर पाकिस्तान से महिला बोगी के डिब्बे में बर्थ के नीचे छिपकर दिल्ली पहुंचे थे।

बचपन से ही दौड़ने का शौक रखने वाले मिल्खा सिंह ने अपने भाई मलखान सिंह के कहने पर सेना में भर्ती होने का निर्णय लिया और चौथी कोशिश के बाद साल 1951 में सेना में भर्ती होने में सफल रहे।

सेना में भर्ती होने के बाद मिल्खा सिंह ने खूब पसीना बहाया और इसका फल उन्हें 1958 में हुए राष्ट्रमंडल खेल के दौरान गोल्ड मेडल जीत कर मिला। यह आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल था। इस खिताब के बाद मिल्खा सिंह का नाम देश विदेश में गूंजने लगा।

एशियन गेम्स में मिल्खा सिंह ने जीता दूसरा गोल्ड मेडल ओर भी खास था। यह मेडल उन्होंने उस समय के सर्वश्रेष्ठ धावक अब्दुल खालिद को हराकर जीता था। पाकिस्तान के अब्दुल खालिद को हराते हुए मिल्खा सिंह ने महज 21.6 सेकंड में गोल्ड मेडल जीतकर एशियन गेम्स का नया रिकॉर्ड बना दिया। इस रेस के दौरान मिल्खा टांग की मांसपेशियों में खिंचाव आने की वजह से फिनिशिंग लाइन पर  गिर गए थे और उन्होंने यह रेस 0.1 सेकंड के अंतर से जीती थी। लेकिन उस दिन पूरी दुनिया ने मान लिया था कि इस खिलाड़ी में कुछ खास बात है।

1958 में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ में नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया था। 47 सेकंड में रेस पूरी कर उन्होंने सिल्वर मेडल जीतने वाले पाब्लो सोमब्लिंगो से करीब दो सेकंड कम वक्त लिया था।

रेस के दौरान मिल्खा सिंह को पीछे मुड़कर देखने की आदत थी, एक दिन उनकी यही आदत उनपर भारी पड़ गई। 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में मिल्खा ने तेज तर्रा शुरुआत की थी 400 मीटर की रेस में वह 250 मीटर तक पहले स्थान पर थे, लेकिन एक बार जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो वह अपनी लय खो बैठै और बाकी के धावक उनसे आगे निकल गए। इस रेस में मिल्खा कांस्य पदक से महज 0.1 सेकंट से चूके थे।

इसके बाद 1960 में ही उन्हें पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल एथलीट कम्पटिशन में हिस्सा लेने का न्योता मिला। लंबे समय से बंटवारे का दर्द लिए मिल्खा सिंह घूम रहे थे, उन्होंने इस रेस के लिए पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया था। मगर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने अपना फैसला बदला।

इसी फैसले की वजह से उन्हें फ्लाइंग सिख का भी नाम मिला। मिल्खा सिंह ने इस रेस में पाकिस्तान के जाने माने धावक को हराकर अपना परचम लहराया तब उन्हें पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख' का नाम दिया और कहा 'आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं।'

बता दें, अपने करियर के दौरान करीब 75 रेस जीतने वाले मिल्खा सिंह को 2001 में अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित दिया गया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था।

मिल्खा सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन वह हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Other Sports News in Hindi के लिए क्लिक करें खेल सेक्‍शन

Advertisement

लाइव स्कोरकार्ड

Advertisement
Advertisement