कोविड-19 का सामना कर रहे महान भारतीय फर्राटा धावक मिल्खा सिंह की स्थिति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के लिए फोन किया जिनका इलाज यहां के पीजीआईएमईआर (स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान) अस्पताल में चल रहा है।
अस्पताल के आईसीयू में 91 साल की इस पूर्व दिग्गज की स्थिति “बेहतर और पहले अधिक स्थिर” हैं । यहां जारी विज्ञप्ति में पीजीआईएमईआर ने कहा कि मिल्खा सिंह गुरुवार की तुलना में बेहतर हैं। गुरुवार को उन्हें ऑक्सीजन स्तर में गिरावट के बाद अस्पताल में लाया गया था। पीजीआईएमईआर के आधिकारिक प्रवक्ता प्रो.अशोक कुमार ने कहा, ‘‘ उनके चिकित्सीय मानकों के आधार पर उनकी हालत कल की तुलना में आज बेहतर और स्थिर है।’’
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कुमार ने कहा कि पीजीआईएमईआर में तीन डॉक्टरों की टीम मिल्खा सिंह की कड़ी निगरानी कर रही है। इससे पहले दिन में, मिल्खा के बेटे जीव मिल्खा सिंह ने भी कहा कि उनके पिता की स्थिति स्थिर हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शुक्रिया किया, जिन्होंने फोन कर के मिल्खा सिंह की स्थिति का जायजा लिया था।
जीव ने ट्वीट में लिखा, ‘‘ अपने व्यस्त कार्यक्रम में से समय निकाल कर फोन पर मेरे पिता के स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद। ’’
मोदी ने शुक्रवार को मिल्खा से बात की और उम्मीद जताई कि प्रतिष्ठित पूर्व एथलीट ‘तोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले एथलीटों को आशीर्वाद और प्रेरित करने’ के लिए जल्द ही वापस आएंगे। मिल्खा को रविवार को मोहाली के एक निजी अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी थी। वह इसके बाद घर में भी ऑक्सीजन की मदद पर थे।
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कोविड-19 से जूझ रही उनकी 82 वर्षीय पत्नी निर्मल कौर फोर्टिस अस्पताल के आईसीयू में है। इस अस्पताल ने पहले बताया था कि मिल्खा और उनकी पत्नी को कोविड निमोनिया हुआ है। मशहूर गोल्फर जीव 22 मई को दुबई से चंडीगढ़ के आ गये थे जबकि अमेरिका में डॉक्टर उनकी बड़ी बहन मोना मिल्खा सिंह भी कुछ दिन पहले यहां पहुंच चुकी है।
मिल्खा सिंह के नौकर भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे और आशंका है कि यह दंपत्ति उनके संपर्क में आने से कोविड-19 पॉजिटिव हो गया। एशियाई खेलों के चार बार के स्वर्ण पदक और राष्ट्रमंडल खेलों के चैम्पियन मिल्खा सिंह 1960 रोम ओलंपिक में 400 मीटर के फाइनल में मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गये थे।