कोलकाता: भारत के महान टेनिस स्टार लिएंडर पेस को भले ही भारत की डेविस कप टीम में जगह नहीं दी गई, लेकिन इसके बावजूद पेस अभी टेनिस से संन्यास लेने के मूड में नहीं हैं। पेस ने कहा कि अपने करियर के इस पड़ाव में उन्हें किसी के सामने कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है।
पेस ने 1990 में 16 साल की उम्र में डेविस कप में डेब्यू किया था और उनके नाम पर इस टूर्नामेंट में सबसे ज्य़ादा 42 युगल जीत का संयुक्त रिकॉर्ड निकोला पीटरांगली के साथ दर्ज है। इस साल के शुरू में उज्बेकिस्तान के खिलाफ नए गैर खिलाड़ी कप्तान महेश भूपति ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया था। एक जमाने में उनके साथी रहे भूपति के इस रवैये के बाद भी 44 साल पेस ने उम्मीद नहीं छोड़ी है।
पेस ने यहां कहा, 'मुझे किसी के सामने कुछ साबित नहीं करना है। मेरा करियर सब कुछ बयां करता है। मैं अभी भी इसलिए खेलता हूं क्योंकि मैं टेनिस को दिलोजान से चाहता हूं। मैं एक खिलाड़ी बने रहने को लेकर बेहद जुनूनी हूं और ये खेल मेरे जीवन का हिस्सा है।'
पेस ने कहा कि जब 'मैं अपने देश के लिये खेला तो मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। देश के लिए खेलने पर मैंने खुद को सम्मानित महसूस किया। यहां तक कि जब मैं व्यक्तिगत मुकाबलों जैसे विंबलडन में भाग लेता हूं तो तब भी अपने देश के लिए खेलता हूं। आप वर्ल्ड लेवल पर हमेशा अपने देश का झंडा ऊंचा देखना चाहते हो। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मेरा करियर लंबा रहा है और आज भी मैं पूरे जुनून के साथ टेनिस खेलता हूं।'