ओलंपिक में 1980 में भारत के लिए आठवां और आखिरी स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के कप्तान रहे वी भास्करन का मानना है कि अगर भारत को अगले साल तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने का अपना सूपना पूरा करना है तो टीम के लिए योजना को अमलीजामा पहनाना महत्वपूर्ण है। आठ स्वर्ण पदक के साथ भारतीय पुरुष हॉकी टीम ओलंपिक इतिहास की सबसे सफल टीम है लेकिन 1980 मास्को खेलों के बाद से टीम पदक जीतने में नाकाम रही है।
दूसरी तरफ महिला टीम ने सिर्फ तीन बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। मास्को 1980 खेलों में भारतीय महिला टीम चौथे जबकि 2016 रियो डि जिनेरियो खेलों में छठे स्थान पर रही। टीम ने तोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है।
भास्करन ने हॉकी इंडिया के लिए कॉलम में लिखा, ‘‘मुझे लगता है कि भारतीय पुरुष और महिला टीम योजना को अच्छी तरह से अमलीजामा पहनाए। अगर वे ऐसा करते हैं तो मुझे यकीन है कि वह निश्चित तौर पर पदक जीत पाएंगे।’’
भास्करन ने कहा कि अगर टीम को पदक जीतना है तो प्रत्येक खिलाड़ी को शत प्रतिशत नहीं तो कम से कम 80 प्रतिशत योगदान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘ओलंपिक में प्रत्येक टीम जीतने के लिए आती है और वे आपको शत प्रतिशत देने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी। सिर्फ चार-पांच खिलाड़ियों के 80 प्रतिशत और बाकी खिलाड़ियों के 60 प्रतिशत योगदान के साथ पदक नहीं जीता जा सकता।’’
भास्करन ने कहा, ‘‘प्रत्येक खिलाड़ी के प्रदर्शन में निरंतरता होनी चाहिए और भारतीय पुरुष टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड कई बार यह बात कह चुके हैं।’’
भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक की तैयारी अर्जेन्टीना (10 और 11 अप्रैल), ग्रेट ब्रिटेन (आठ और नौ मई), स्पेन (12 और 13 मई) और जर्मनी (18 और 19 मई) के खिलाफ उनकी सरजमीं पर हॉकी प्रो लीग मैचों के साथ करेगी और फिर स्वदेश में न्यूजीलैंड (29 और 30 मई) से भिड़ेगी।
भास्करन ने कहा, ‘‘हॉकी प्रो लीग में ओलंपिक खेलों से पहले शीर्ष टीमों के खिलाफ खेलने से लय मिलेगी, मेरी सलाह है कि टीम इसके नतीजों को अधिक तवज्जो नहीं दे।’’ भास्करन ने कहा कि उन्होंने महिला टीम को अधिक करीब से देखा है इसलिए उन्हें लगता है कि उसमें अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता है।