अब्बास ने दूसरे युवाओं की तरह ब्रूस ली फ़िल्में देखकर इस कला को समझने की कोशिश की और इसमें पूरी तरह रम गया।
अब्बास ने काबुल गैम्स क्लब में कुछ महीने अभ्यास किया लेकिन परिवार की माली हालत की वजह से वह अपना शौक़ पूरा करने के लिए घर में ही अभ्यास करने लगा।
अब्बास ने स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली है लेकिन धनाभाव की वजह से आगे की पढ़ाई केमुमकिन नहीं है।
हालत तब और बदतर हो गए जब उसके पिता मुहम्मद रज़ा को दिल का दौरा पड़ने केबाद लकवा मार गया।
इसके बावजूद उसके परिवार को यक़ीन है कि अब्बास एक दिन अपना सपना ज़रुर पूरा करेगा।
मुहम्मद रज़ा का कहना है “मैं ख़ुदा से दुआ करता हूं कि मेरे ज़िंदा रहते मेरे बच्चे का ब्रूस ली बनने का ख़्वाब पूरा हो जाए।”
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