नई दिल्ली। भारत की दिग्गज निशानेबाज हिना सिद्धू ने हाल ही में कहा था कि भारत को 2022 में बर्मिघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार के बारे में विचार करना चाहिए। हिना ने यह बात तब कही थी जब निशानेबाजी को अगले राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल न करने का फरमान सुना दिया गया है। हिना को अब भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरेंदर बत्रा का समर्थन मिला है, जिन्होंने कहा कि खेलों का बहिष्कार एक विकल्प हो सकता है। बत्रा ने खेल मंत्री किरण रिजिजू को ई-मेल लिखकर इस बात की जानकारी दे दी है कि आईओए सदस्यों के बीच इस बात पर अनऔपचारिक चर्चा शुरू हो चुकी है।
बत्रा ने जो मेल लिखा है उसकी एक प्रति आईएएनएस के पास है।
पत्र में लिखा है, "यह आईओए के महासचिव के मई-2019 में दिए गए बयान के सबंध में है जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रमंडल खेल-2022 में हिस्सा न लेना का विचार पर चर्चा की जा सकती है। इस मुद्दे पर अब अनऔपचारिक तौर पर आईओए सदस्यों के बीच चर्चा जारी है और वह आईओए के महासचिव राजीव मेहता के विचारों से सहमत हैं।"
इससे पहले, भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरआई) के सचिव राजीव भाटिया ने आईएएनएस कहा था कि निशानेबाजी को न शमिल करने के फैसले के बाद अब कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि आयोजन समिति ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला ले लिया है।
भाटिया ने कहा, "आपको मैं क्या बताऊं कि हमने क्या क्या नहीं किया। लेकिन आयोजन समिति हमारी सुनने को तैयार नहीं थी। उसने हमसे कहा कि हम निशानेबाजी पर पैसा खत्म नहीं करना चाहते। फायनेंस ही उन्होंने एक मात्र कारण दिया। वो कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं। हमने काफी कुछ किया, हमने इस पर संसद में बहस भी करवाई, लेकिन आयोजन समिति मानने को ही तैयार नहीं है। अब हम कुछ नहीं कर सकते, नहीं है तो नहीं है। वो सुनने को तैयार नहीं हैं,हम वहां जबरदस्ती नहीं जा सकते।"
जून में राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने फैसला किया था कि 2022 में होने वाले खेलों में निशानेबाजी को जगह नहीं दी जाएगी। 1970 के बाद से ऐसा पहली बार होगा कि राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी नहीं होगी। इससे भारत को बड़ा झटका लगा है क्योंकि इन खेलों में अगर भारत पदक तालिका में आगे रहता है तो इसके पीछे एक बड़ी वजह निशानेबाजी में जीते पदक होते हैं।