चेन्नई: ऑल इंडिया चेस फेरडेशन (एआईसीएफ) ने कहा है कि वह हिजाब पहनने की अनिवार्यता को लेकर ईरान में होने वाली एशियाई नेशंस कप चेस चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लेने के महिला ग्रैंडमास्टर सौम्या स्वामीनाथन के फैसले का सम्मान करता है। एआईसीएफ के सचिव भरत सिंह चौहान ने कहा, "यह उनका निजी फैसला है। हम उनके फैसले के खिलाफ नहीं हैं। हम उनकी जगह किसी दूसरे खिलाड़ी के नाम की घोषणा करेंगे।" एशियाई नेशंस कप एक टीम चैंपियनशिप है।
चौहान ने कहा, "विश्व शतरंज संस्था एफआईडीई का रुख स्थानीय कानूनों, संस्कृति और परंपराओं का पालन करना है। इसी तरह एआईसीएफ भी एफआईडीई के रुख का पालन करेगा। खिलाड़ी अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।"
मामले पर पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय महिला ग्रैंडमास्टर विजयलक्ष्मी सुब्बारमन ने कहा, "यह सौम्या का खुद का फैसला है। मैं इसका सम्मान करती हूं। उन्होंने किसी अधिकारी या संस्था के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है।"
सुब्बारमन ने कहा कि सऊदी अरब में भी हिजाब का अनिवार्यता का नियम है लेकिन उसने 2017 में विश्व चैंपियनशिप के दौरान इस नियम से छूट दी थी। जब उन्होंने पिछले साल सऊदी अरब में इस विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था तो उन्होंने वहां पर हिजाब नहीं पहना था।
सौम्या ने ईरान में 26 जुलाई से 4 अगस्त तक होने वाली एशियाई नेशंस कप चैंपियनशिप से हटने का फैसला किया है। उन्होंने इस्लामिक देश ईरान में अनिवार्य रूप से हिजाब या स्कार्फ पहनने के नियम को अपने निजी अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए यह फैसला लिया है।
भारत की नंबर चार महिला शतरंज खिलाड़ी सौम्या ने कहा, "मैंने अपनी आजादी के पक्ष में फैसला किया। यह मेरी निजी पंसद है। यह किसी के खिलाफ नहीं है, एआईसीएफ के खिलाफ नहीं है। मेरा यह फैसला सिर्फ ईरान के खिलाफ नहीं है बल्कि यह उन सभी देशों के खिलाफ भी होगा जो मुझे इसे पहनने के लिए मजबूर करेंगे।"
सौम्या ने फेसबुक पर लिखा, "मुझे लगता है कि ईरानी कानून के तहत जबरन हिजाब पहनाना मेरे बुनियादी मानवाधिकार का उल्लंघन है। यह मेरी अभिव्यक्ति की आजादी और विचारों की आजादी सहित मेरे विवेक और धर्म का उल्लंघन है। ऐसी परिस्थिति में मेरे अधिकारों की रक्षा के लिए मेरे पास एक ही रास्ता है कि मैं ईरान न जाऊं।"
सौम्या साल 2011 में ईरान में खेल चुकी हैं। वह तब छोटी थीं। लेकिन अब खेलने को लेकर उन्होंने कहा कि उस समय उनका ध्यान अपने खेल पर था और अब वह अपनी स्वतंत्रता को महत्व देती हैं।
उन्होंने कहा कि हर देश का अपना कानून हो सकता है लेकिन उनके पास उस देश जाने या ना जाने का विकल्प है।