Sunday, December 22, 2024
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अचानक बाहर किये जाने से आहत है भारतीय महिला कुश्ती कोच एंड्र्यू कुक

कुक ने कहा ‘‘जब मैं रवाना हुआ था, तब मैं काफी उत्साहित था क्योंकि हमने एशियाई चैम्पयनशिप में आठ पदक के साथ इतिहास रचा था।"

Reported by: Bhasha
Published : July 05, 2020 16:00 IST
Indian women's wrestling coach Andrew Cook is hurt by the sudden exit
Image Source : GETTY IMAGES Indian women's wrestling coach Andrew Cook is hurt by the sudden exit

नई दिल्ली। भारतीय महिला कुश्ती कोच के तौर पर अचानक से बाहर किये जाने से एंड्रयू कुक काफी आहत हैं और वह अब भी उस कारण को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने क्या गलत किया। यह अमेरिकी 2019 के शुरू में राष्ट्रीय शिविर से जुड़ा लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण सीटल रवाना होने के बाद भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के साथ विवाद के बाद बाहर हो गया। इससे वह उन विदेशी कोचों की जमात में शामिल हो गये जो कई अन्य देशों से पूरी तरह से अलग प्रणाली से निपटने में जूझने के बाद बाहर हुए। 

कुक ने सीटल से पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘जब मैं रवाना हुआ था, तब मैं काफी उत्साहित था क्योंकि हमने एशियाई चैम्पयनशिप में आठ पदक के साथ इतिहास रचा था और क्वालीफाइंग प्रतियोगिता तक पहुंचने तक काफी अच्छी लय बनायी हुई थी। फिर यह महामारी फैल गयी और पलक झपकते ही सबकुछ बदल गया। मुझे कड़वाहट झेलनी पड़ी क्योंकि मैंने ऐसे हालात के बारे में नहीं सोचा था। ’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भारत अपनी समृद्ध संस्कृति के कारण बहुत पसंद था और खाना भी शानदार था। मैं यहां अमेरिका में भी इसे खा रहा हूं। खिलाड़ी भी काफी अच्छे थे लेकिन दुर्भाग्य से मुझे नहीं लगता कि मैं भारत कोच के तौर पर लौटूंगा। ’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इस देश ने मुझे काफी गहरा आघात दिया है और मैं अपनी जिंदगी में फिर कभी भी ऐसा अनुभव नहीं करना चाहूंगा।’’ 

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डब्ल्यूएफआई ने कहा था कि कुक ने साइ द्वारा आयोजित ऑनलाइन सत्र में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था। हालांकि कुक ने कहा कि वह सुबह तीन बजे उठकर सत्र आयोजित करने में मदद करते थे और इस दावे की साइ के खुद के कोचों ने सही होने की पुष्टि की। कुक ने कहा कि वह नहीं जानते कि वह कहां गलत रहे और यह महज वेतन का मुद्दा नहीं था। 

डब्ल्यूएफआई सूत्रों ने कहा था कि महासंघ कोच को मोटी तनख्वाह नहीं देना चाहता था जो शिविर के लिये देश में भी नहीं था। कुक ने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो मैं नहीं जानता कि चीजें किस तरह गलत हुईं, यह बहुत अजीब था, मैं लगातार संपर्क में था, उन्होंने जो कुछ कहा, वही सब किया, यहां तक कि तड़के तीन बजे उठकर सभी क्लास में हिस्सा लिया, यह मेरे लिये बहुत मुश्किल था क्योंकि मैं सो नहीं पा रहा था और बैठकों के दौरान अलर्ट रहने की कोशिश करता था।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मुझे पूरे भारत में एक कार्यक्रम चलाने को कहा और यह भी मेरे समय के हिसाब से तड़के तीन बजे थी और मैंने ऐसा किया और इसकी अच्छी प्रतिक्रिया रही, फिर अचानक मुझे मीडिया से सुनने को मिला कि उन्होंने मुझे बाहर कर दिया। मैं सिर्फ यही सोच सकता हूं कि वे मुझे मिल रहे इतने कम वेतन को भी नहीं देना चाहते थे।’’ 

कुक ने कहा, ‘‘यहां तक कि मुझे अभी तक साइ या डब्ल्यूएफआई से कोई अधिकारिक संदेश नहीं मिला है। भारत में दुर्भाग्य से प्रणाली दुरूस्त नहीं है। मुझे जाने का दुख है लेकिन मैं राहत महसूस कर रहा हूं।’’

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