जकार्ता: भारत के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ब्रिज खिलाड़ियों ने शनिवार को कहा कि उनके खेल को जुआ नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि इसमें भाग्य नहीं कौशल के दम पर जीत दर्ज की जाती है। प्रणब बर्धन और शिबनाथ सरकार ने शनिवार को एशियाई खेलों में ब्रिज में पुरूष युगल में स्वर्ण पदक जीता। इस खेल को पहली बार एशियाई खेलों में शामिल किया गया था।
बर्धन ने कहा,‘‘यह खेल तर्क पर आधारित है। यह शतरंज की तरह माइंड गेम है लेकिन उससे अधिक चुनौतीपूर्ण है। शतरंज में दो खिलाड़ी एक दूसरे के खिलाफ खेलते हैं। यहां आपको अपने साथी के साथ खेलना होता है जिससे आप मैच के दौरान बात नहीं कर सकते। आपको एक दूसरे की चाल को समझना होता है। ’’
उन्होंने कहा,‘‘यह निश्चित तौर पर जुआ नहीं है। हर किसी को शुरू में एक जैसे पत्ते मिलते हैं इसलिए इसमें भाग्य तो शामिल ही नहीं है। आपको परिस्थितियों के अनुसार खेलना होता है।’’
सरकार ने कहा कि यह युवाओं का भी खेल है और यह सोच गलत है कि केवल उम्रदराज लोग ही इसे खेलते हैं। उन्होंने कहा,‘‘सिंगापुर टीम में युवा खिलाड़ी है। कई खिलाड़ी 20 से 30 साल के हैं। यह एलीट वर्ग का खेल है। पश्चिम बंगाल में सभी वर्गों के लोग इस खेल को खेलते हैं।’’