चंडीगढ़| पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला दीपा मलिक ने 21 साल पहले रीढ़ की हड्डी से ट्यूमर हटाने की सर्जरी को याद करते हुए बुधवार को कहा, ‘‘सबसे अंधेरी रात मेरे जीवन का सर्वश्रेष्ठ सूर्योदय लेकर आयी।’’
उन्होंने तीन जून 1999 को हुई घटना याद किया जब डाक्टरों ने उन्हें कहा था कि उनके बचने की संभावना कम थी और अगर वह बच भी गयी तो सीने के नीचे लकवा मार जायेगा। भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष ने याद करते हुए कहा, ‘‘21 साल पहले तीन जून 199 की रात सबसे ज्यादा कठिन और अंधेरी थी जब डाक्टरों ने मुझे कहा था कि वे मुझे रीढ़ की हड्डी के ट्यूमर को हटाने के लिये ले जायेंगे और मैं या तो मर जाऊंगी या जीवित रह गयी तो धड़ के नीचे लकवा मार जायेगा।’’
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उनकी जगह कोई और होता तो ऐसी हालत में उम्मीद खो बैठता लेकिन वह सकारात्मक बनी रहीं। मलिक ने अपने ट्विटर हैंडल पर पिछले दो दशक की 21 फोटो का संग्रह पोस्ट किया, ‘‘मैंने विकलांगता के बजाय सिर्फ अपनी काबिलियत पर ध्यान लगाया और मेरे पास जो भी बचा था, उससे जीवन का जश्न मनाया। अंधेरी रात मेरे जीवन का सर्वश्रेष्ठ सूर्योदय लेकर आयी। मुझे अपनी ‘व्हील चेयर’ पर दोबारा जन्म मिला और मेरे नये शरीर ने मुझे एक उद्देश्य और जीवन में एक नयी दिशा दी।’’