कोलकाता। भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व दिग्गज तुलसीदास बलराम ने दिवंग्त चुन्नी गोस्वामी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी उपलब्धियों का श्रेय इस महान खिलाड़ी को जाता है। चुन्नी गोस्वामी के साथ लंबे समय तक राष्ट्रीय टीम का हिस्सा रहे 83 साल के तुलसीदास ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ मैं चुन्नी गोस्वामी के कारण ही तुलसीदास बना।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह साबित करना चाहता था कि मैं भी उससे कम नहीं हूँ। यह एक खेल ईर्ष्या थी जिसने मुझे विकसित करने में मदद की। मैं ठीक से सो भी नहीं पा रहा था। मैं हमेशा उनके बारे में सोचता था और उनके सपने देखता था। मैं भी खुद को उनकी तरह का साबित करना चाहता था।’’
गोस्वामी, तुलसी दास और दिवंगत पीके बनर्जी की तिकड़ी को भारतीय फुटबाल के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइकर के तौर पर जाना जाता है। एशियाई खेल 1962 की स्वर्ण पदक विजेता टीम के कप्तान रहे चुन्नी गोस्वामी का गुरूवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। इससे 41 दिन पहले बनर्जी का भी निधन हो गया था।
एशियाई खेल 1962 की स्वर्ण पदक विजेता टीम अग्रीमपंक्ति के खिलाड़ी तुलसीदान ने कहा, ‘‘ जब मैंने उसे पहली बार देखा तो वह लोगों से घिरे हुए थे। संतोष ट्राफी (1955) जीतने के बाद उन्होंने काफी नाम कमाया था। मैं अपने सीनियर खिलाड़ियों से उनके बारे में पूछरहा था।’’
उन्होंने बताया, ‘‘मैंने खुद से कहा कि जब वह इतने अच्छे तरीके से खेल सकता है तो मैं क्यों नहीं, मैंने इसे चुनौती की तरह लिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय टीम के लिए एक साथ खेलने के दौरान में उस समय मीडिया में चर्चा होती थी कि दोनों में से कौन बेहतर है। हम अच्छे दोस्त थे और ऐसी चीजों का लुत्फ उठाते थे।’’