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शीतकालीन खेलों के लिए सर्वश्रेष्ठ वातावरण दे सकती है हिमालयन रेंज: शिवा केशवन

जापान के नगानो में 1998 में मात्र 16 साल की उम्र में शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले अब तक के सबसे युवा लूश खिलाड़ी केशवन को अपनी उपलब्धियों की मान्यता के लिए 25 साल लंबे करियर के खत्म होने का इंतजार करना पड़ा और उन्हें हाल में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। 

Edited by: Bhasha
Published on: September 27, 2020 16:07 IST
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Image Source : GETTY Shiva Keshavan

पूर्व स्टार लूश खिलाड़ी शिवा केशवन का मानना है कि हिमालय की बदौलत शीतकालीन खेलों से जुड़ा बड़ा उद्योग खड़ा किया जा सकता है लेकिन इन खेलों से जुड़े खिलाड़ियों को लगता है कि भारत में उनकी अनदेखी हो रही है। 

जापान के नगानो में 1998 में मात्र 16 साल की उम्र में शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले अब तक के सबसे युवा लूश खिलाड़ी केशवन को अपनी उपलब्धियों की मान्यता के लिए 25 साल लंबे करियर के खत्म होने का इंतजार करना पड़ा और उन्हें हाल में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। 

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वह शीतकालीन खेलों से जुड़े पहले खिलाड़ी हैं जिसे यह पुरस्कार दिया गया। दक्षिण कोरिया के प्योंगचेंग में 2018 शीतकालीन ओलंपिक के बाद संन्यास लेने वाले 39 साल के केशवन ने कहा कि इस सम्मान से उन लोगों की आस बंधी है जिनकी अनदेखी हुई है। 

केशवन ने मनाली के समीप अपने गांव से पीटीआई को बताया, ‘‘जागरूकता की कमी, प्रशासन की ओर से समझ या ध्यान नहीं दिए जाने से शतकालीन खेलों के खिलाड़ियों को लगता है कि उनकी अनदेखी हो रही है। यह अर्जुन पुरस्कार सभी के लिए उम्मीद की किरण है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि भारत में शीतकालीन खेलों ने अब तक रफ्तार नहीं पकड़ी है जबकि वैश्विक स्तर पर यह अरबों डॉलर का उद्योग है।’’ केशवन ने कहा, ‘‘दुनिया भर के शीतकालीन खेलों के स्थलों की यात्रा के अपने अनुभव से मैं कह सकता हूं कि भारत में हिमालय इन गतिविधियों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक वातावरण मुहैया कराता है।’’ 

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उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि हमें पहले विश्व स्तरीय खेल ढांचे पर निवेश करना होगा जिससे कि लोगों की खेल तक पहुंच हो और यह फायदेमंद पर्यटन का आधार बन सके।’’ चार शीतकालीन खेल महासंघों को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की पूर्व सदस्यता हासिल है लेकिन खेल मंत्रालय उन्हें मान्यता नहीं देता। 

इसके कारण खेलों को कोष के लिए जूझना पड़ता है और उपयुक्त बुनियादी ढांचा नहीं होने के कारण उन्हें नुकसान होता है। केशवन ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार ने हालांकि खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों में निवेश शुरू कर दिया है और बुनियादी ढांचा तैयार कर रही है जो बड़ा कदम है। ’’ 

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