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ख़ुश हूं 12 साल का सूखा खत्म कर पाया: निशानेबाज संजीव

आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में खेले गए 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में अपना 12 साल का स्वर्ण का सूखा खत्म कर भारत के निशानेबाज संजीव राजपूत बेहद खुश हैं।

Reported by: IANS
Published on: April 18, 2018 15:30 IST
Sanjeev Rajput- India TV Hindi
Sanjeev Rajput

नई दिल्ली: आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में खेले गए 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में अपना 12 साल का स्वर्ण का सूखा खत्म कर भारत के निशानेबाज संजीव राजपूत बेहद खुश हैं। उनका मानना है कि उन्हें उनके इंतजार का फल मिला है। संजीव ने पुरुषों की 50 मीटर राइफल-3 पोजीशंस स्पर्धा में गेम रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता। संजीव ने 454.5 का स्कोर करते हुए गेम रिकार्ड के साथ स्वर्ण पर कब्जा जमाया। संजीव इससे पहले मेलबर्न में 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य और फिर 2014 में ग्लास्गों में खेले गए राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीत चुके थे। इस साल आखिरकार उन्होंने सोने पर निशाना लगाते हुए अपना सपना पूरा किया।

भारत लौटने के बाद संजीव ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, "बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि 12 साल हो गए मैं इंतजार पर इंतजार कर रहा था। क्या होता है कि आप प्वांइट के अंतर से चूक जाते हो। स्वर्ण, रजत और कांस्य के बीच में अंतर सिर्फ दिशमलव अंकों का रहता है। उसको अंतत: खत्म करके मैंने स्वर्ण जीता। इस बात की खुशी है।"

संजीव ने क्वालीफिकेशन में 1180 के गेम रिकार्ड के साथ पहला स्थान हासिल करते हुए फाइनल में जगह बनाई थी। संजीव ने फाइनल में 150.5 के स्कोर के साथ शुरूआत की। इसके बाद वह प्रोन राउंड में 306.9 के स्कोर के साथ दूसरे नंबर पर रहे। भारतीय निशानेबाज ने फिर लगातार अंक बटोरकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया। इन 12 सालों में संजीव ने काफी आलोचना भी झेली, लेकिन वह इसे जिंदगी का हिस्सा मानते हुए आगे बढ़ते चले गए। बकौल संजीव, "यह जिंदगी का हिस्सा है, यह चलता रहता है। कोई भी इससे अछूता नहीं रह सकता।"

संजीव ने जब 2006 में कांस्य जीता था तब भारत में निशानेबाजी इस स्तर पर नहीं थी जिस स्तर पर आज है। इस बदलाव पर 37 साल के संजीव कहते हैं, "समय के साथ बदलना सफलता की कुंजी है। आप बदल रहे हो तभी आप आगे रह पाओगे। यह अच्छा है कि हम बदले हैं और सुधार करते हुए इस मुकाम पर पहुंचे हैं कि ज्यादा से ज्यादा पदक जीत रहे हैं।"

संजीव के नाम एशियाई खेलों में भी रजत और कांस्य हैं। उनकी कोशिश आने वाले एशियाई खेलों में भी पदक के रंग को बदलने की होगी। उन्होंने कहा, "मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा। कुछ तकनीकी चीजें हैं मैं उन पर काम करूंगा आने वाले विश्व कप के बाद मैं उन पर काम कर सुधार करूंगा।"

संजीव तकनीकी तौर के अलावा मानसिक तैयारी पर भी जोर देते हैं। उन्होंने कहा, "मानसिक तैयारी के लिए मैं अपने कोचों के साथ चर्चा करता रहता हूं। जो भी कुछ होता है वो आपके अंदर होता है। आप अपने आप पर नियंत्रण पा रहे हो अपने आप को ढाल पा रहे हो तो अच्छा कर पा रहे तो यह आपके लिए अच्छा होता है।" अपने शांत व्यक्तित्व के बारे मे संजीव कहते हैं, "मैं शुरू से ही शांत हूं। जो लोग मुझे जानते हैं वो जानते हैं कि मैं शुरू से ही शांत रहने वाला इंसान हूं। मैं इसी तरह रहता हूं।"

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