पिछले साल 2018 हॉकी विश्वकप के बाद से कोच के बिना खेल रही भारतीय हॉकी टीम का इंतज़ार खत्म हो चुका है। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व हॉकी स्टार खिलाड़ी ग्राहम रीड को टीम का मुख्य कोच चुना गया है। 54 साल के ग्राहम जल्दी ही बेंगलुरु के भारतीय खेल प्राधिकरण में लगे राष्ट्रीय कैम्प में टीम से जुड़ेंगे।
रीड ने अपने करियर में 130 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। वह 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा थे। दिग्गज रिक चार्ल्सवर्थ के शिष्य रीड पांच वर्षों तक ऑस्ट्रेलियाई टीम में उनके सहायक रहे और 2014 में मुख्य कोच बने थे। वह 2016 रियो ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया के कोच थे लेकिन टीम के पदक नहीं जीत पाने के कारण उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था।
वह 2017 में अपने पूर्व क्लब एम्सटर्डम के मुख्य कोच और नीदरलैंड टीम के सहायक कोच बने थे। उन्होंने हालांकि कुछ माह पहले ही एम्सटर्डम कोच का पद छोड़ दिया था जिसके बाद उनके भारतीय टीम का कोच बनने की अटकलें लगाये जाने लगी थी। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ इस सप्ताह रीड की नियुक्ति को मंजूरी दे देंगे।
इस तरह हॉकी के महान खिलाड़ी रीड की नियुक्ति पर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष मुश्ताक अहमद ने कहा, "ग्राहम रीड के पास एक खिलाड़ी और कोच के रूप में सब कुछ मौजूद है। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई और नीदरलैंड की राष्ट्रीय टीमों के साथ काम किया है। हमें उम्मीद है कि उनका अनुभव और विशेषज्ञता भारतीय पुरुषों की हॉकी टीम को उसके स्तर तक ले जाने में काफी मदद करेगा। जिसमें आगामी टोक्यो ओलंपिक 2020 भी शामिल है।”
भारतीय टीम के साथ जुड़ने और ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में टीम के प्रदर्शन का जिम्मा अपने कंधो पर लेने के बाद ग्राहम रीड ने कहा, "भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच के रूप में नियुक्त होना एक सम्मान और सौभाग्य की बात है। हॉकी में भारत के जैसा स्वर्णिम इतिहास किसी और देश का नहीं है, जिससे तुलना की जा सके। भारतीय हॉकी अपने अटैकिंग ब्रांड के लिए जानी जाती है, जो ऑस्ट्रेलिया के खेलने की शैली से भी काफी मिलता जुलता है। हॉकी इंडिया, साई के साथ मिलकर टोक्यों ओलम्पिक के लिए मिशन शुरू करने को लेकर काफी उत्सुक हूँ। मेरी पत्नी भी अगस्त में भारत आ रही है। हम बेंगलुरु में घर बनाने के लिए तैयार हैं।"
बता दें की भुवनेश्वर में आयोजित हुए हॉकी विश्वकप 2018 में भारतीय टीम क्वार्टरफाइनल में नीदरलैंड के हाथों हार कर बाहर हो गयी थी। उस समय टीम के मुख्य कोच भारत के पूर्व खिलाड़ी हरेन्द्र सिंह थे। जिन्हें विश्वकप 2018 में भारतीय हॉकी टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण बाहर कर दिया गया था। तबसे टीम बिना कोच के खेल रही थी। हाल ही में मलेशिया में खेलें गये सुलतान अज़लान शाह कप में भारतीय टीम को कोरिया के हाथों फ़ाइनल में हार झेलनी पड़ी थी। जिसके चलते हॉकी इंडिया ने टोक्यो ओलंपिक को समीप आता देख तुरंत बड़ा कदम उठाया और टीम में कोच की नियुक्ति की। अब देखना दिलचस्प होगा कागजों में भारी ग्राहम रीड भारतीय हॉकी के स्तर को कहाँ तक ले जा पाते हैं।