अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके युवा खिलाड़ी अनवर अली ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के हृदय की गंभीर बीमारी के कारण उन्हें अभ्यास से रोकने वाले फैसले को गुरुवार को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। अली के वकील ने न्यायाधीश नवीन चावला को बताया कि वह बहुत ही गरीब परिवार से है और अगर उसे अभ्यास में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाती है तो 20 साल का यह खिलाड़ी खेल नहीं पायेगा और न ही कमाई कर पायेगा।
अली ने कहा कि उन्होंने अंडर-15, अंडर-17 और अंडर-19 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया है और वह फीफा अंडर-17 विश्व कप में भारतीय टीम का भी हिस्सा थे जिसमें वह सभी मैचों में मुख्य सेंटरबैक के तौर पर खेले थे। अली के वकील अमिताभ तिवारी और अभिमन्यु तिवारी ने कहा कि सात सितंबर को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने कोलकाता के मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि अली को टीम के साथ अभ्यास की अनुमति नहीं दी जाये जो उनके आजीविका कमाने के मौलिक अधिकार का उल्लघंन है।
इस खिलाड़ी को हृदय संबंधित बीमारी ‘एपसियल हाइपरकार्डियो मायोपैथी’ से पीड़ित पाया गया है। एआईएफएफ के वकील प्रेमतोश मिश्रा ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि अली बेहतरीन खिलाड़ी था और वह देश के लिये खेल चुका है और वे मुश्किल स्थिति में थे क्योंकि अगर वह उसे खेलने की अनुमति देते हैं तो उसकी जिंदगी का जोखिम बढ़ जायेगा। उन्होंने कहा कि अली को विभिन्न डॉक्टरों ने देखा और विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह के बाद उन्हें खेलने की अनुमति नहीं देने का विचार बनाया गया लेकिन जांच अब भी लंबित है और यह अंतिम फैसला नहीं है।
वकील ने कहा कि अली एआईएफएफ की खेल चिकित्सा समिति (एआईएफएफ की स्थायी समिति) के समक्ष प्रस्तुत हो सकते हैं और अपनी राय व अपनी बीमारी की वीडियो दिखा सकते हैं और बैठक अगले 10 दिन में होनी चाहिए जिसकी सूचना उन्हें दे दी जायेगी। इस पर तिवारी ने कहा कि जब तक चिकित्सा समिति मामले पर विचार कर रही है, तो अली को टीम के साथ जुड़ने की अनुमति दी जाये ताकि अगर उनके पक्ष में फैसला लिया जाता है तो वह खेलने योग्य रहें।
उच्च न्यायालय ने हालांकि कहा कि मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए क्लब को खुद ही इस अनुरोध पर विचार करना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी।