Monday, November 25, 2024
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Exclusive| फिटनेस, ट्रेनिंग और आत्मविश्वास को पी.वी. सिंधु ने बताया गोल्ड मेडल तक पहुँचने का सुनहरा सफर

ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जीतने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर खेलमंत्री किरेन रिजिजू तक ने उन्हें बधाई सन्देश दिया।

Written by: India TV Sports Desk
Updated on: August 28, 2019 12:32 IST
PV Sindhu, Indian Shuttler- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGE PV Sindhu, Indian Shuttler

विश्व की नई चैम्पियन भारतीय महिला बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद काफी भावुक नजर आई। ओलम्पिक रजत पदक विजेता सिंधु ने बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में दुनिया की चौथे नंबर की खिलाड़ी जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराकर चैम्पियनशिप में पहली बार स्वर्ण पदक जीता। 

ऐसे में जैसे ही सिंधु ने स्विट्ज़रलैंड के बासेल में गोल्ड मेडल जीता पूरे देश में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर सिंधु को बधाई देने वाले लोगों का तांता सा लग गया। जिसमें ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जीतने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर खेलमंत्री किरेन रिजिजू तक ने उन्हें बधाई सन्देश दिया। ऐसे में जैसे ही सिंधु गोल्ड 'गोल्डन गर्ल' बनकर वतन वापस लौटी उन्होंने इंडिया टी.वी. के स्पोर्ट्स रिपोर्टर वैभव भोला से ख़ास बातचीत में इन सुनहरे पल और कैसे एक चैम्पियन खिलाड़ी बना जाए इसके बारे में कई दिलचस्प खुलासे किए। 

42 साल बाद सिंधु आप गोल्ड जीतने वली पहली भारतीय खिलाड़ी जब बनी उस समय आप पोडियम पर थोडा भावुक भी दिखी। इस ख़ास जीत और उस समय के बारें में क्या कहना चाहेंगी?

सिंधु ने कहा, "मेरे लिए ये काफी महत्वपूर्ण क्षण था क्योंकि पिछली दो बार मैंने इसे मिस किया था। दो बार फाइनल और दो बाद कांस्य पदक जीतने के बॉस ये काफी खास था। पिछली बार हारने पर थोडा उदास थी लेकिन एक बार फिर तैयारी की और कठिन परिश्रम करके हासिल किया।" 

सिंधु आपसे पहले भी कई खिलाड़ी गए वर्ल्ड चैंपियनशिप में लेकिन गोल्ड नहीं आ पा रहा था। अब बताइए कि गोल्ड लाने के लिए क्या अलग करना पड़ता है?

सिंधु ने कहा, "मैं पिछली दो-तीन बार से फाइनल तक कई टूर्नामेंट्स में आकर हार जा रही थी। मुझे भी थोडा उदासी होती थी की अब एक साल और इंतज़ार करना पड़ेगा। इसके बाद मैंने अपनी गलतियों से सीखा कि मैं कहाँ पर गलत हूँ। आपके अंदर आत्मविश्वास जीत का होना बहुत जरूरी है जिसको मैंने पैदा किया। इस तरह मैंने ख़िताब को हासिल किया।"

सिन्धु ने फ़ाइनल मैच में नोजोमी ओकुहारा को अपनी स्पीड से सीधे गेमों में 21-7, 21-7 से हराया। जिस पर सिंधु ने पिछली बार हुयी गलतियों को ना दोहराने पर कहा, "गलतियाँ थी थोड़ी उन पर मैंने काम किया। अगर आप टॉप से लेकर शीर्ष 15 खिलाड़ी देहेंगे तो सबका गेम एक जैसा होता रहता है। बस हर एक के खेलने का अंदाज अलग-अलग होता है। मेरे ख्याल से सबसे महत्वपूर्ण वो दिन आपके साथ है या नहीं वो भी होता है। फाइनल में दोनों खिलाड़ी बराबर के होतें है तो उस दिन अगर आप अच्छा कर जाते हो तो आप गोल्ड हासिल कर लेते हो।"

पिछले दो साल की बात करें तो सिंधु के गेम में काफी तेजी और सटीकता देखी गई है। सिन्धु खुद भी शारिरीक और मानसिक रूप से काफी मजबूत नजर आ रही है। ऐसे में अपनी फिटनेस के बारें में सिंधु ने कहा, "मैं हर दिन 7 से 8 घंटे तक ट्रेनिंग करती हूँ। पिछले दो साल से मैं व्यक्तिगत ट्रेनर के साथ काम कर रही हूँ। जिससे काफी फायदा मिला है. गेम जीतने के लिए फिटनेस, ताकत काफी महत्वपूर्ण हैं। सभी चीज़ें बैलेंस होनी चाहिए तभी आप एक चैम्पियन खिलाड़ी बन सकते हैं। तो मेरे ख्याल से फिटनेस, ट्रेनिंग और आत्मविश्वास ही सफलता की कूंजी है।"

बता दें कि भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में वर्ल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि सिंधू अपनी इस स्पीड को अगले साल टोक्यो ओलंपिक 2020 तक कायम रखें और देश को पहली बार बैडमिंटन में ओलंपिक गोल्ड दिलाने का सपना भी पूरा करें।

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