नई दिल्ली: फीफा अंडर-17 विश्व कप के दूसरे मैच में मेजबान भारत ने उम्मीद से कहीं बेहतर खेल दिखाया, लेकिन जोशपूर्ण संघर्ष और घुटने न टेक देने की जिद के बीच उसे कोलंबिया से रोमांचक मुकाबले में मात खानी पड़ी। संघर्षपूर्ण मुकाबले में कोलंबिया ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में खेले गए ग्रुप-ए के मैच में भारत को अप्रत्याशित 2-1 के अंतर से मात दी। कोलंबिया के लिए दोनों गोल जुयान सेबस्टियन पेनालोजा ने 49वें और 83वें मिनट में किए। भारत के लिए विश्व कप का पहला गोल 82वें मिनट में जैक्सन सिंह थायुनाओजाम ने किया।
पहले मैच में संघर्ष करने वाली मेजबान टीम भारत ने इस मैच में काफी मेहनत की और पूरे जोश के साथ कोलंबिया का सामना किया। अमेरिका के खिलाफ जो टीम खेली उससे यह टीम काफी अलग लग रही थी। टीम का डिफेंस शानदार था। उसने कोलंबिया जैसी मजबूत टीम को पहले हाफ की समाप्ति तक ज्यादा मौके नहीं दिए और अपने ऊपर हावी भी नहीं होने दिया। कोलंबिया ने जो दो मौके बनाए उन्हें भारतीय गोलकीपर धीरज सिंह ने बेहतरीन प्रदर्शन से नकार दिया। धीरज के अलावा भारतीय रक्षापंक्ति खासकर अनवर अली ने कोलंबिया के हाथ से मौके छीने।
कोलंबिया के लिए यहां जीत किसी भी तरह से आसान नहीं थी। बेहद आक्रामक खेलने के बाद भी वह मेजबान टीम को कभी हताश नहीं कर पाई। मेजबान टीम ने न सिर्फ कोलंबिया को रोका बल्कि कई बार उसकी सांसे अटका दीं। पहले हाफ में दो बार ऐसे मौके आए जब भारत गोल करने के करीब पहुंच गया था, लेकिन किस्मत को शायद ये मंजूर न था।
16वें मिनट में अभिजीत सरकार भारत के लिए विश्व कप में पहला गोल दागने से बेहद करीब आकर चूक गए। दो कोलंबियाई खिलाड़ियों को छकाते हुए अभिजीत ने सीधा शॉट गोलपोस्ट पर दागा, लेकिन विपक्षी गोलकीपर केविन मिएर ने शानदार बचाव करते हुए अभिजीत से यह सुनहरा मौका छीन लिया। दूसरा मौका राहुल ने पहले हाफ के इंजुरी टाइम में बनाया। जैकसन ने कोलंबियाई खिलाड़ियों से बड़ी चतुराई से गेंद ली और गेंद को आगे बढ़ा दिया। गेंद राहुल के पास पहुंची जिन्होंने बेहतरीन शॉट खेला, लेकिन गेंद पोल से टकरा कर वापस आ गई और भारत के प्रशंसकों को निराशा हाथ लगी।
36वें मिनट में कोलंबिया के बेहतरीन खिलाड़ी कैमपाज ने भारतीय खेमे में आक्रामण किया, लेकिन धीरज ने उनके शॉट को गोलपोस्ट के अंदर नहीं जाने दिए। छह मिनट बाद यादिर मेनेसेस ने बॉक्स के बाहर से गेंद को नेट में डालना चाहा। इस बार भी घीरज उनकी राह में बाधा बने। धीरज ने अपनी बाईं तरफ फुल स्ट्रैच डाइव मारते हुए एक बार फिर अपनी टीम को पीछे होने से बचा लिया।
दूसरे हाफ में आते ही कोलंबिया ने 1-0 की बढ़त ले ली। पेनालोजा ने भारत के बॉक्स एरिया से गेंद ली और पैरों की कलाबाजी दिखाते हुए अपने लिए जगह बनाई और फिर गोलपोस्ट के बाएं कोने में गेंद को डाल अपनी टीम का खाता खोला। हालांकि इसके बाद भी भारत ने हार नहीं मानी और न ही दबाव में आई। उसने प्रयास जारी रखे और कोलंबिया को बढ़त का ज्यादा फायदा नहीं उठाने दिया।
कोलंबिया बढ़त लेने के बाद भी ज्यादा मौके नहीं बना पाया। मैच खत्म होने में आठ मिनट का समय बाकी था तभी ऐसा हुआ जिसने स्टेडियम में मौैजूद दर्शकों को अपनी सीट से उठा दिया। जैक्सन ने विश्व कप में भारत के लिए पहला गोल मार दिया था और स्कोर लाइन ने 1-1 की बराबरी बता दी थी। भारत को 82वें मिनट में कॉर्नर मिला। स्टालिन ने कॉर्नर लिया और जैक्सन ने मध्य से हेडर के जरिए गेंद को नेट में डाल दिया। स्टेडियम और पूरी टीम अपने पैरों पर खड़े होकर जश्न मना रही थी।
ड्रॉ करीब लग रहा था, लेकिन अगले ही पल पेनालोजा ने गुस्टावो अडोलफो कारवाजाल की मदद से गेंद को एक बार फिर नेट में डाल अपनी टीम को 2-1 से आगे कर दिया। मेजबान फिर भी हार मानने वाले नहीं थे। उन्होंने कुछ और मौके बनाए हालांकि गोल नहीं हो सका। इस हार के बाद भारत अंतिम-16 में जगह बनाने से चूक गया है। वहीं कोलंबिया ने अंतिम-16 की अपनी उम्मीदों को जिंदा रखा है।