कोलकाता। फीफा ने भारत के फुटबॉल क्लब पंजाब एफसी जो मिनर्वा पंजाब एफसी के नाम से मशहूर है, पर तीन ट्रांसफर विंडो बैन लगाया है। यह बैन फीफा के डिस्पियूट रिजॉल्यूशन चैम्बर (डीआरसी) ने उत्तरी माकेडोनियान के खिलाड़ी रिसिटजन डेनकोव्स्की को उसका भुगतान न करने के कारण लगाया है।
यह विवाद बीते साल अगस्त में हुआ था जब रंजीत बजाज क्लब के फैसले लेने वाले लोगों में सक्रिय थे। फीफा ने मंगलवार को यह बैन लगाया है।
इस बैन के कारण क्लब किसी भी खिलाड़ी को आने वाले ग्रीष्मकाल की ट्रांसफर विंडों से अपने साथ शामिल नहीं कर सकता। यह बैन तभी हटाया जाएगा जब क्लब खिलाड़ी का भुगतान कर देगा।
आने वाले ग्रीष्मकाल की ट्रांसफर विंडों से अपने साथ शामिल नहीं कर सकता। यह बैन तभी हटाया जाएगा जब क्लब खिलाड़ी का भुगतान कर देगा।
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पंजाब एफसी को आए एक मेल में फीफा के हैड ऑफ प्लेयर्स एरिका मोटेमोर फेरेरिया ने कहा है कि यह फैसला 13 फरवरी को डेनकोव्स्की के पक्ष में लिया गया था। क्लब को डीआरसी ने 45 दिन के अंदर 18,000 डालर का भुगतान करने को कहा था। इस मेल की एक प्रति आईएएनएस से पास है जिसमें अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) और क्लब के पूर्व मालिक बजाज को भी मार्क किया गया है।
पंजाब एफसी 31 मार्च 2020 तक भुगतान नहीं कर पाई और नतीजन डीआरसी ने उस पर ट्रांसफर बैन लगा दिया और अब क्लब से खिलाड़ी का भुगतान जल्दी से जल्दी करने को कहा गया है।
करार के मुताबिक डेनकोव्स्की को हर महीने 2000 डालर मिलने थे और फाइनल सेटेलमेंट रकम 18,000 डालर बनी थी जिस पर 29 अगस्त 2019 से पांच प्रतिशत ब्याज लगना था। खिलाड़ी ने क्लब के साथ एक सितंबर 2019 से 31 मई 2020 तक का करार किया था। खिलाड़ी द्वारा 30 जुलाई थर्ड पार्टी ऑनरशिप (टीओपी) देने के बाद भी क्लब ने छह अगस्त को खिलाड़ी से करार रद्द कर दिया।
क्लब ने मेल में कहा है कि उसने खिलाड़ी से काफी पहले टीओपी देने को कहा था और उन्होंने दो दिन के भीतर इसे जमा करन को भी कहा था, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए।