हर युवा खिलाड़ी एक दिन वर्ल्ड कप खेलने का सपना देखता है और इस टूर्नामेंट का उसको बेसब्री से इंतजार होता है। हर खिलाड़ी की चाहत होती है कि वर्ल्ड कप में वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे और अपने देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन करे। लेकिन क्या हो जब खिलाड़ी का नाम वर्ल्ड कप की टीम में शामिल ही न हो। कुछ ऐसी ही कहानी है भारतीय हॉकी खिलाड़ी रुपिंदर पाल सिंह की। साल 2018 में रुपिंदर पाल सिंह को उनकी खराब फॉर्म के कारण वर्ल्ड कप टीम से बाहर कर दिया गया। लेकिन असली खिलाड़ी वही होता है जो मुश्किल वक्त में भी हिम्मत नहीं हारता ओर कड़ी मेहनत व दृढ़ इच्छा शक्ति के दम पर फिर से मैदान पर वापसी करता है। रुपिंदर ने न केवल मैदान पर वापसी की बल्कि एफआईएच प्रो लीग में डेूब्यू करते हुए 2 गोल दागे और मैच के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बने। इसी सिलसिले में इंडिया टीवी ने रुपिंदर पाल सिंह से एक्सक्लूजिव बातचीत की जिसमें उन्होंने पिछले 1 साल में भारतीय हॉकी में आए शानदार बदलाव और अपने कमबैक के बारे में बताया।
ओलंपिक से पहले हॉकी के अहम टूर्नामेंट एफआईएच प्रो लीग में भारतीय हॉकी टीम का शानदार डेब्यू रहा। भारत ने अपने शुरुआती 2 मैचों में हाई रैंकिंग वाली नीदरलैंड की टीम को मात देते हुए शानदार आगाज किया। पहले मैच में रुपिंदर ने शानदार वापसी करते हुए 2 गोल दागे और मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड अपने नाम किया। इस शानदार वापसी पर रुपिंदर ने कहा, "सबसे बड़ी बात ये है कि टीम जीतनी चाहिए और पहले दो मैच में जीतना टीम का आत्मविश्वास बढ़ाएगा और मोटिवेट करेगा। काफी समय के बाद हम टॉप टीमों के खिलाफ खेल रहे हैं और इससे टीम आगे मेहनत करने के लिए मोटिवेट होगी।"
मुश्किल वक्त को याद करते हुए रुपिंदर ने कहा, "उस वक्त में परिवार और दोस्तों का सपोर्ट होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इमोशनली सभी साथ में होने चाहिए और उस खराब वक्त में सभी की पॉजिटिव बातें काफी मददगार होती हैं। उस समय में सिंपल और बेसिक चीजों पर फोकस कर रहा था। खुद पर विश्वास रखना बड़ी बात हैं जिससे सब कुछ ठीक हो जाता है।" उन्होंने आगे कहा, "उस वक्त मैं थोड़ा परेशान जरुर था लेकिन मुझे इससे उबरना था। ये स्थिति हर किसी एथलीट के सामने आती है। अगर आप स्ट्रांग हैं और इच्छाशक्ति मजबूत हैं तो कमबैक करने में कोई दिक्कत नहीं होती है।"
नए कोच ग्राहम रीड की निगरानी में टीम काफी शानदार प्रदर्शन कर रही है। यही नहीं, नीदरलैंड के खिलाफ टीम काफी अटैकिंग गेम खेलते नजर आई जिसको लेकर रुपिंदर ने बताया, "कोच ग्राहम रीड बॉल को 'टैकल और प्ले फॉरवर्ड' योजना पर काम कर रहे हैं। सबसे पहले बॉल को इंटरसेप्ट करो और उसको आगे के खिलाड़ी को पास करो। अटैकिंग हॉकी खेलने पर ज्यादा हम ज्यादा फोकस कर रहे हैं। इसी पर हम ज्यादा काम कर रहे हैं।"
टीम में बतौर पेनल्टी कॉर्नर स्पेशलिस्ट की भूमिका निभाने वाले रुपिंदर पेनल्टी कन्वर्जन को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हैं। उनके अनुसार टीम का पेनल्टी कॉर्नर कन्वर्जन मौजूदा समय के हिसाब से अच्छा चल रहा है। रुपिंदर ने बताया, "अभी हमारा कन्वर्जन 33 % के करीब है जो काफी अच्छा रिजल्ट है। पहले पेनल्टी कॉर्नर की डिफेंसिंव अच्छी नहीं होती थी। लेकिन अभी पेनल्टी कॉर्नर के वक्त अपोनेंट काफी डिफेंसिव हो चुका है। गोलकीपर और खिलाड़ियों के बीच अंडरस्टेडिंग बढ़ी है। अगर पेनल्टी कॉर्नर 33 % कन्वर्जन हो रहा है तो ये काफी ठीक माना जाता है। पिछले 1 साल से इस मामलें में हमने काफी सुधार किया है और अभी भी इस पर काम कर रहे हैं।"
पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम के पेनल्टी कॉर्नर पर नजर डाले तो उसमें अन्य टीमों के मुकाबले काफी कम वेरिएशन देखने को मिलता है। इस मामलें में रुपिंदर का मानना है कि टीम के पास शानदार ड्रैग फ्लिकर्स है जो मैच में परिस्थितियों के हिसाब से वेरिएशन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। रुपिंदर कहते हैं, "हमारे पास अमित रोहिदास और वरुण कुमार जैसे अच्छे ड्रैग फ्लिकर्स हैं जो शानदार फॉर्म में हैं। हमें वेरिएशन की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। मैच में परिस्थिति और विपक्षी टीम के हिसाब से हम वेरिएशन का भी इस्तेमाल करते हैं।"
पिछले 1 साल में भारतीय टीम के खेल के स्तर में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिला है। इस बारे में रुपिंदर ने बताया, "हमने पोजिशनिंग और डिटेल्स में काफी ज्यादा सुधार किया है। पोजिशनिंग से ही टीम में काफी बड़ा फर्क देखने को मिला है। कोच ने खिलाड़ियों के साथ मिलकर टीम स्ट्रक्चर पर भी काफी काम किया है। इसी सब का नतीजा है कि हमने प्रो लीग में नीदरलैंड के खिलाफ जीत हासिल की।"
एफआईएच प्रो लीग में भारत ने नीदरलैंड को हराने के बाद वर्ल्ड चैंपियन बेल्जियम को 3-2 से मात दी। हालांकि अपने दूसरे मैच में भारत को बेल्जियम के हाथों 2-3 से हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं, नीदरलैंड के खिलाफ दूसरे मैच में भारतीय टीम ने पिछड़ने के बाद जीत हासिल की जो इससे पहले काफी कम देखने को मिलता था।
इस बारे में रुपिंदर ने बताया, "हमने ट्रेनिंग सेशन में इस पर काफी मेहनत की। हर खिलाड़ी के अंदर जीत की भूख है और सभी खिलाड़ी का मकसद जीत हासिल करना था। इस टूर्नामेंट में भी हम हर मैच जीतने के मकसद से उतरे हैं।"
टोक्यो ओलंपिक में अब 5 महीने से भी कम का समय बचा है और इससे पहले भारतीय टीम को प्रो लीग में ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और जर्मनी जैसी मजबूत टीमों से भिड़ना है। रुपिंदर से जब टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम के टारगेट को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "अभी इस बारे में कहना ठीक नहीं होगा। हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह ओलंपिक में मेडल जीते। सब कुछ हमारे प्रदर्शन पर निर्भर करता है कि हम ओलंपिक में कैसे खेलते हैं। अभी हमारे पास 5 महीनें का समय है जिसके लिए हम कड़ी ट्रेनिंग कर रहे हैं। प्रो लीग में हमें कई बड़ी टीमों का सामना करना है जिससे हमें ओलंपिक से पहले अपनी कमिंयो को दूर करने में काफी मदद मिलेगी।"
गौरतलब है कि एफआईएच प्रो लीग में भारतीय टीम का अगला मुकाबला भुवनेश्वर में 21-22 फरवरी को ऑस्ट्रेलिया से होना है। इसके बाद भारतीय टीम जर्मनी और ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ उनके घर में खेलेगी।