नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के चलते वित्तीय परेशानियों से जूझ रहे हॉकी समुदाय के लिये पूर्व भारतीय कप्तान वीरेन रास्किन्हा ने 22 लाख रुपये जुटाये और उसे एकमुश्त लाभ के तौर पर निचले स्तर के खिलाड़ियों, कोचों और मैदानकर्मियों में वितरित किया जाएगा। यह धनराशि गैर लाभकारी संगठन ओलंपिक गोल्ड क्वेस्ट (ओजीक्यू) और गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन की संयुक्त पहल से जुटायी गयी।
रास्किन्हा ओजीक्यू के निदेशक हैं। उन्होंने इस पहल को ‘चलो मिलकर रहें’ नाम दिया। इसमें कुल 120 दानदाताओं ने योगदान दिया जिसमें पूर्व हॉकी खिलाड़ी, अन्य खेलों के खिलाड़ी और कारपोरेट जगत भी शामिल था। इस पहल के तहत 220 लाभार्थियों की पहचान की गयी है जो कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण वित्तीय परेशानियों से जूझ रहे हैं। उन्हें एकमुश्त धनराशि के तौर पर 10,000 रुपये दिये जाएंगे।
रास्किन्हा ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैंने अपने पूर्व साथी ओर मुंबई में रिपब्लिकन्स स्पोर्ट्स क्लब के कोच कॉनरॉय रेमेडियोस और उनकी पत्नी और पूर्व भारतीय गोलकीपर दीपिका मूर्ति से बात की और तब मुझे पता चला कि निचले स्तर पर स्थिति कितनी बुरी है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ग्रासरूट पर खिलाड़ियों, कोचों और मैदानकर्मियों के लिये भोजन जुटाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि लॉकडाउन के दौरान उनकी कोई कमाई नहीं हो रही थी। ’’
रास्किन्हा ने कहा, ‘‘मुंबई में क्लब स्तर पर खेलने वाले हॉकी खिलाड़ी पूरे महाराष्ट्र से गरीब परिवारों से आते हैं। किसी का पिता खाने का सामान बेचता है, तो किसी का पिता आटो चलाता है। उनकी कमाई बुरी तरह प्रभावित हुई। तब मेरे दिमाग में निजी हैसियत से उनकी मदद करने का विचार आया। ’’
इसके बाद 39 वर्षीय रास्किन्हा ने गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन के ट्रस्टी और अपने मित्र नंदन कामथ से बात की और तब दोनों ने मिलकर काम करने के लिये पहल की। उन्होंने कहा, ‘‘ग्रासरूट के इन लोगों को खेल में बनाये रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके बिना किसी भी खेल में मध्यम या शीर्ष स्तर नहीं होगा। मैंने ओजीक्यू बोर्ड में यह बात रखी और उन्होंने तुरंत ही गो स्पोर्ट्स के साथ मिलकर इस पर काम करने का फैसला किया।’’
भारत के पूर्व मिडफील्डर ने कहा कि सही लाभार्थी का चयन करना मुश्किल था। इसके लिये उन्होंने हॉकी समुदाय के अपने संपर्कों का उपयोग किया तथा रेमेडियोस, नयी दिल्ली में गैर सरकारी संगठन चलाने वाले के अरूमुगम, पूर्व हॉकी खिलाड़ियों दिलीप टिर्की, भरत चिकारा, विक्रम पिल्लै और वीएस विनय को इसमें शामिल किया। रास्किन्हा ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण सही लाभार्थी की पहचान करना था। इसलिए मैंने उन लोगों पर विश्वास किया जो पिछले 20-25 वर्षों से हॉकी से जुड़े हैं।’’