Sunday, December 29, 2024
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जन्मदिन विशेष : तो इस वजह से वियाना में ध्यानचंद की मूर्ति पर चार हाथ और चार स्टिक लगाई गई

मेजर ध्यानचंद से जुड़ा एक और ऐसा रोचक तथ्य है जिसे कम ही लोग जानते हैं। ऑस्ट्रिया की राजधानी वियाना के स्पोर्ट्स क्लब में मेजर ध्यान की चार हाथों वाली एक मूर्ति लगाई गई है।

Written by: India TV Sports Desk
Updated : August 29, 2017 15:41 IST
Dhyanchand
Dhyanchand

नई दिल्ली : 29 अगस्त यानि मेजर ध्यानचंद का जन्मदिन, जिसे पूरे देश में खेल दिवस के रुप में मनाया जाता है। ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहबाद में हुआ था। बचपन में ध्यानचंद को हॉकी के प्रति कोई लगाव नहीं था। 16 साल की उम्र में सेना में भर्ती होने के बाद उन्होंने हॉकी खेलना शुरु किया। ध्यानचंद को हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करने का श्रेय रेजीमेंट के एक सूबेदार मेजर तिवारी को जाता है। उनकी देखरेख में आगे चलकर ध्यानचंद भारतीय हॉकी इतिहास के सबसे महान खिलाड़ी बने। 

हॉकी के जादूगर से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जो हॉकी फैंस के जहन में हमेशा जिंदा रहेंगे। फिर चाहे वो हिटलर का ध्यानचंद को जर्मनी से खेलने का ऑफर देना हो या फिर उनकी स्टिक पर चुंबक लगे होने के शक में हॉकी स्टिक को मैदान पर ही तुड़वा कर देखना हो। मेजर ध्यानचंद से जुड़ा एक और ऐसा रोचक तथ्य है जिसे कम ही लोग जानते हैं। दरअसल ऑस्ट्रिया की राजधानी वियाना के स्पोर्ट्स क्लब में मेजर ध्यान की एक मूर्ति लगाई गई है। इस मूर्ति की खास बात ये है कि इसमें मेजर ध्यानचंद के चार हाथ बनाए गए हैं। जिनमें चार स्टिक थमाई गई है। जाहिर तौर पर इस मूर्ति से पता चलता है कि हॉकी में ध्यानचंद का इतना दबदबा था कि उनको खेलता देखकर लगता था मानो उनके दो नहीं चार-चार हाथों हों, जिनमें चार स्टिक थामकर वो दनादन गोल बरसा रहे हों। 

ध्यानचंद ने 1928 एम्सटर्ड ओलंपिक, 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक और 1936 बर्लिन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। तीनों ही बार भारत ने ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता। ध्यानचंद के दमदार प्रदर्शन के चलते वो दौर भारतीय हॉकी का सुनहरा दौर कहा जाता था। अपने हॉकी करियर में ध्यानचंद ने 400 गोल दागे। ध्यानचंद ने 1948 में 42 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहा। उन्हें 1956 में भारत सरकार ने पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया था। ध्यानचंद के बाद उनके बेटे अशोक ध्यानचंद ने पिता की विरासत  को आगे बढ़ाया और उन्होंने 1975 हॉकी वर्ल्ड कप में भारत को वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम रोल निभाया।

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