वेटलिफ्टिंग में भारत ने 2 मेडल जीत लिए हैं। पहले गुरुराज ने देश को सिल्वर और इसके बाद मीराबाई चानू ने गोल्ड दिलाया। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दोनों ने देश को ये मेडल बेहद विपरीत परिस्थियों में दिलाया है। जी हां, भारतीय वेटलिफ्टरों के पास ना तो फिजियो था और ना ही उनके पास जरूरी व्यवस्थाएं थीं। इतना ही नहीं दोनों को कई चोटें भी लगी थीं इसके बावजूद इनका ध्यान रखने के लिए दल में कोई फिजियो नहीं था। दोनों खिलाड़ियों ने देश का गौरव बढ़ाने के बाद ये खुलासा किया है। आपको बता दें कि मीराबाई चानू ने (48 किग्रा) राष्ट्रमंडल खेलों में स्नैच, क्लीन एवं जर्क और ओवर ऑल रिकार्ड के साथ गोल्ड जीता, जबकि पी गुरूराजा ने (56 किग्रा) पुरुष वर्ग में सिल्वर अपने नाम किया।
इन दोनों खिलाड़ियों के पदक का रंग भले ही अलग-अलग हो लेकिन दोनों में एक समानता ये है कि उनकी जिंदगी के सबसे अहम दिनों के दौरान उनके दर्द और चोटों का ख्याल रखने के लिए कोई फिजियो साथ नहीं था। रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन के बाद मीराबाई चानू ने कहा, ‘मेरे साथ यहां प्रतियोगिता के लिए कोई फिजियो नहीं था। उन्हें यहां आने की अनुमति नहीं मिली, प्रतियोगिता में आने से पहले मुझे पर्याप्त उपचार नहीं मिला। यहां कोई नहीं था, हमने अधिकारियों से इसके बारे में कहा लेकिन कुछ नहीं हुआ। मैंने अपने फिजियो के लिए अनुमति मांगी था लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई, लेकिन हम एक दूसरे की मदद कर रहे थे।’
कर्नाटक के गुरूराजा ने कहा, ‘मुझे कई जगह चोट लगी है। मेरे फिजियो मेरे साथ नहीं हैं, इसलिए मैं घुटने और सिएटिक नर्व का इलाज नहीं करा पाया।’ इस मामले में बार-बार संपर्क किए जाने के बाद भी भारतीय मिशन प्रमुख विक्रम सिसोदिया ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इन खेलों से पहले भारतीय दल की संख्या एक बड़ा मसला था, जिसके बाद खेल मंत्रालय ने आदेश दिया कि अधिकारियों की संख्या खिलाड़ियों की संख्या से 33 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इस वजह से कई खिलाड़ियों ने उनके मनचाहे सहयोगी स्टाफ को आधिकारिक दल का हिस्सा नहीं बनाए जाने पर शिकायत भी की।