भारतीय दल गुरुवार से शुरू हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के इरादे से उतरेगा. ग्लास्गो में पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने 15 स्वर्ण, 30 रजत और 19 कांस्य समेत 64 पदक जीते थे. इस बार 218 सदस्यीय दल से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद होगी। अपेक्षाओं का अधिकांश बोझ निशानेबाजों, मुक्केबाजों, बैडमिंटन खिलाड़ियों और पहलवानों पर होगा जो बेहतरीन फार्म में है. स्पर्धाएं पांच अप्रैल से शुरू होगी जबकि बुधवार को उद्घाटन समारोह है. भारत को पहला पदक शुरुआती दिन ही मिल सकता है जब विश्व चैंपियन भारोत्तोलक मीराबाई चानू 48 किलो वर्ग में उतरेंगी. इसी दिन बैडमिंटन खिलाड़ी, मुक्केबाज और टेबल टेनिस खिलाड़ी अपने अभियान का आगाज़ करेंगे.
आईये एक नज़र डालते हैं भारत की पदक उम्मीदों पर.
निशानेबाज़ी:
हीना सिद्धू: पंजाब की यह पिस्टल निशानेबाज़ शानदार फार्म में है. उन्होंने कुछ महीने पहले ही राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते थे. वह महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल में भाग लेंगी.
मनु भाकर: सोलह साल की मनु ने कुछ सप्ताह पहले सीनियर विश्व कप में पदार्पण करके दो स्वर्ण पदक जीते थे. उन्होंने जूनियर विश्व कप में इस प्रदर्शन को दोहराया. अब 10 मीटर एयर पिस्टल में हीना के साथ उतरेंगी.
जीतू राय: सेना के इस निशानेबाज़ की नज़र 50 मीटर एयर पिस्टल में लगातार दूसरा राष्ट्रमंडल स्वर्ण जीतने पर होगी. जीतू 10 मीटर एयर पिस्टल में भी चुनौती पेश करेगे और गोल्ड कोस्ट में पदक जीतकर रियो ओलिंपिक 2016 की नाकामी का ग़म दूर करना चाहेंगे.
एथलेटिक्स:
नीरज चोपड़ा: बीस साल के इस भालाफेंक खिलाड़ी से काफ़ी अपेक्षाएं हैं. लंदन में कुछ महीने पहले सीनियर विश्व चैम्पियनशिप में वह फाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सके थे. पिछले साल एशियाई चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था जो अभी तक उसके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
सीमा पूनिया: ग्लास्गो में रजत पदक जीतने वाली चक्काफेंक खिलाड़ी सीमा की नज़रें गोल्ड तमगे पर होंगी. उन्होंने पिछले महीने फेडरेशन कप में 61.05 मीटर का रिकार्ड बनाया. अब देखना यह है कि एशियाई खेलों की चैम्पियन सीमा क्या गत स्वर्ण पदक विजेता आस्ट्रेलिया की डैनी स्टीवेंस को पछाड़ सकेंगी?
बैडमिंटन:
पी वी सिंधू: ओलिंपिक रजत पदक विजेता सबसे बड़ी पदक उम्मीद हैं. सिंधू ने पिछली बार कांस पदक जीता था और इस बार पदक का रंग बदलना चाहेंगी.
सायना नेहवाल : करियर के लिए ख़तरा बनी घुटने की चोट से उबरकर वापसी कर रही 2010 की स्वर्ण पदक विजेता साइना यदि फिटनेस बरकरार रख पाती है तो पदक की प्रबल दावेदार होंगी.
किदाम्बी श्रीकांत: चोटिल कश्यप की ग़ैर मौजूदगी में भारत को पुरुष एकल में पदक दिलाने का दारोमदार श्रीकांत पर होगा. वह 2014 खेलों में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे लेकिन पिछले साल चार सुपर सिरीज़ ख़िताब जीते थे.
मुक्केबाज़ी
एम सी मेरीकॉम: पैतीस बरस की मेरीकाम पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेंगी. पांच बार की विश्व चैम्पियन और ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता मेरीकॉम 48 किलो में स्वर्ण की दावेदार है.
विकास कृष्णन: भारत के चार विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेताओं में से एक विकास ने बुल्गारिया में स्ट्रांजा स्मृति टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता था. मेरीकाम की तरह उनका भी यह इन खेलों में पदार्पण है और 75 किलो में पदक के प्रबल दावेदार हैं.
कुश्ती:
सुशील कुमार: पिछले खेलों के स्वर्ण पदक विजेता सुशील ने विवादों से भरे दो साल के बाद वापसी की है. वह पुरुषों के 74 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग में एक और स्वर्ण जीतना चाहेंगे.
साक्षी मलिक: रियो ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी ने ग्लास्गो में रजत पदक जीता था. उन्हें 62 किलो फ्रीस्टाइल में पदक का दावेदार माना जा रहा है.
विनेश फोगाट: ग्लास्गो की स्वर्ण पदक विजेता विनेश रियो ओलिंपिक के दौरान चोटिल हो गई लेकिन एशियाई चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था.
भारोत्तोलन:
मीराबाई चानू : विश्व चैम्पियन मीराबाई चानू ( 48 किलो ) के नाम राष्ट्रमंडल खेलों का रिकार्ड है. उनसे एक बार फिर स्वर्ण की उम्मीद होगी.