कोविड-19 से प्रभावित होगी कुछ एनएसएफ को मिलने वाली कोरपोरेट सहायता
कोविड-19 से प्रभावित होगी कुछ एनएसएफ को मिलने वाली कोरपोरेट सहायता
हर साल एनएसएफ को ट्रेनिंग और टूर्नामेंट का सालाना कैलेंडर सौंपना होता ताकि उसी के मुताबिक उन्हें धनराशि जारी हो। लेकिन कुछ एनएसएफ सिर्फ सरकारी कोष पर निर्भर नहीं हैं।
Reported by: Bhasha Updated on: April 26, 2020 16:32 IST
दिल्ली। देश के अधिकतर राष्ट्रीय खेल महासंघ (एनएसएफ) सरकार से मिलने वाले अनुदान पर आश्रित हैं लेकिन कुछ ऐसे भी एनएसएफ हैं जो कोरपोरेट जगत से मिलने वाली धनराशि पर निर्भर हैं और कोविड-19 महामारी के कारण उनकी इस राशि में कमी आयी है। बीसीसीआई के अलावा सभी राष्ट्रीय खेल संस्थाओं को राष्ट्रीय खेल महासंघों को सहायता योजना के अंतर्गत मंत्रालय से धनराशि मिलती है। इस साल उनके लिये 245 करोड़ रूपये का बजट रखा गया था। इसमें खिलाड़ियों की ट्रेनिंग से लेकर उपकरणों की जरूरत, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी, विदेशी दौरे और देश में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की मेजबानी शामिल होता है।
हर साल एनएसएफ को ट्रेनिंग और टूर्नामेंट का सालाना कैलेंडर सौंपना होता ताकि उसी के मुताबिक उन्हें धनराशि जारी हो। लेकिन कुछ एनएसएफ सिर्फ सरकारी कोष पर निर्भर नहीं हैं। कुछ अतिरिक्त टूर्नामेंट की मेजबानी और इनका आयोजन बड़े स्तर पर करने के लिये वे निजी संस्थाओं से धनराशि लेते हैं।
सरकार ने भी प्रावधान बनाया है कि कारपोरेट घराने खेल गतिविधियों में ‘कोरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी’ (सीएसआर) के अंतर्गत पैसा खर्च कर सकते हैं। भारतीय साइकिलिंग महासंघ और भारतीय परालंपिक समिति वे खेल संस्थायें हैं जिन्हें इस सीएसआर कोष में कमी की उम्मीद है। वहीं भारतीय एथलेटिक्स महासंघ और भारतीय भारोत्तोलन महासंघ ने कहा कि उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
साइकिलिंग महासंघ के चेयरमैन ओंकार सिंह ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘निश्चित रूप से कोरोना वायरस महामारी के चलते निजी संस्थाओं से मिलने वाले सीएसआर कोष में कमी आयेगी। निजी क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ है और इससे खेलों में कोरपोरेट कोष पर भी असर पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें पिछले कुछ वर्षों से होंडा मोटर्स से पैसा मिल रहा है जो सालाना एक करोड़ रूपये से ज्यादा है। वहीं परालंपिक समिति के महासचिव गुरशरण सिंह ने भी कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते उसके वित्तीय हालात प्रभावित होंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हां, सीएसआर फंड में निश्चित रूप से कमी आयेगी। ज्यादातर कारपोरेट घरानों ने ज्यादातर सीएसआर कोष ‘केयर्स फंड’ में जमा कर दिया है जिससे खेल संस्थाओं को योगदान देना अब उनकी प्राथमिकता नहीं होगी।’’
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