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भारतीय दिल का इंतज़ार कर रहे पाक-हॉकी दिग्गज मंसूर अहमद के लिए चेन्नई ने दिखाई दरियादिली

दिल की बीमारी से ग्रस्त पाकिस्तानी हॉकी टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अहमद की मदद के लिए चेन्नई हॉकी एसोसिएशन आगे आई है. इतना ही नहीं चेन्नई के कुछ बड़े सर्जन्स पाकिस्तान में उनका इलाज कर रहे डॉक्टर्स के संपर्क में भी हैं। 

Written by: India TV Sports Desk
Published on: April 25, 2018 11:54 IST
Mansoor Ahmed- India TV Hindi
Mansoor Ahmed

दिल की बीमारी से ग्रस्त पाकिस्तानी हॉकी टीम के पूर्व कप्तान मंसूर अहमद की मदद के लिए चेन्नई हॉकी एसोसिएशन आगे आई है. इतना ही नहीं चेन्नई के कुछ बड़े सर्जन्स पाकिस्तान में उनका इलाज कर रहे डॉक्टर्स के संपर्क में भी हैं। ग़ौरतलब है कि अहमद इलाज के लिए भारत आना चाहते हैं और वह विदेश मंत्रालय से अनुमति मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं. 

जानकारी के अनुसार चेन्नई के डॉक्टर के.आर बालकृष्ण पाकिस्तान के डॉक्टर्स के संपर्क में हैं। अहमद का इलाज कर रहे डॉक्टर्स ने ख़ुद डॉ. बालकृष्ण को अहमद के कागज भेजकर मदद मांगी थी. बालकृष्ण फिलहाल फिलिस्तीन में दिल की बीमारी से जूझ रहे बच्चों की मदद कर रहे हैं.

भारत आकर भी इंतज़ार करना होगा

 
अहमद को भारत आने की इजाज़त मिल भी जाती है तो भी उन्हें काफी इंतज़ार करना होगा. विदेश के किसी मरीज़ को अगर चेन्नई में हार्ट ट्रांसप्लांट करवाना होता है तो उसके लिए छह महीने तक का इंतज़ार करना पड़ता है क्योंकि किसी विदेशी को भारतीय व्यक्ति का दिल तभी लगाया जा सकता है जब किसी भारतीय को उसकी ज़रूरत न हो. नए नियमों के मुताबिक, हॉस्पिटल को एक अंडरटेकिंग देनी होती है कि वे विदेशी का हार्ट ट्रांसप्लांट कर रहे हैं क्योंकि किसी भारतीय मरीज़ को फिलहाल उसकी ज़रूरत नहीं है. 

हार्ट ट्रांसप्लांट के अलावा कोई रास्ता

फिलहाल कराची के जिन्ना पोस्टग्रैजुएट मेडिकल सेंटर में डॉक्टर चौधरी परवेज़ अहमद का इलाज कर रहे हैं. पेसमेकर और स्टेंट से जुड़ी समस्या बढ़ने के बाद उनके पास हार्ट ट्रांसप्लांट के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है. अहमद का केस अमेरिका के कैलिफॉर्निया और भारतीय अस्पतालों को रेफर किया गया है. दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीज़ा देने में भारत ने हमेशा दरियादिली दिखाई है.  

अहमद 1990 के दशक की पाकिस्तान की हॉकी टीम के कप्तान थे. यह वह दौर था जब पाकिस्तानी हॉकी टीम काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी. इस दौर में जब पाकिस्तानी टीम भारत के अलावा किसी अन्य देश के खिलाफ खेलती थी तो भारतीय फैंस पाकिस्तान का समर्थन करते थे. अहमद ने तीन ओलिंपिक, कई चैंपियन ट्रोफी और वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की नुमाइंदी की है. 1994 में वर्ल्ड कप फाइनल में नीदरलैंड्स के खिलाफ दो पेनल्टी स्ट्रोक्स रोककर यह गोलकीपर काफी सुर्खियों में आया था. 

अहमद पहले ही साफ कर चुके हैं कि उन्हें किसी तरह की आर्थिक मदद की जरूरत नहीं है. वह बस मेडिकल आधार पर भारतीय वीज़ा चाहते हैं. अहमद ने बताया कि पंजाब (पाकिस्तान) के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने उनके इलाज के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर की रकम मंजूर की है और बाक़ी ख़र्चा शाहिद अफरीदी फाउंडेशन उठा रहा है.

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