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'चक दे इंडिया' से मशहूर हुए कोच रंजन नेगी फुटपॉथ पर हॉकी के गुर सिखाने को मजबूर

फिल्म "चक दे इंडिया" (2007) से ख्याति पाने वाले देश के पूर्व गोलकीपर मीररंजन नेगी अपने गृहनगर इंदौर में हॉकी की नयी पौध को फुटपाथ पर खेल के गुर सिखाने को मजबूर हैं। 

Reported by: Bhasha
Published on: September 06, 2020 14:42 IST
'चक दे इंडिया' से मशहूर...- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK.COM 'चक दे इंडिया' से मशहूर हुए कोच रंजन नेगी फुटपॉथ पर हॉकी सिखाने को मजबूर

इंदौर (मध्य प्रदेश)। शाहरुख खान की प्रमुख भूमिका वाली फिल्म "चक दे इंडिया" (2007) से नयी ख्याति पाने वाले देश के पूर्व गोलकीपर मीररंजन नेगी अपने गृहनगर इंदौर में हॉकी की नयी पौध को फुटपाथ पर खेल के गुर सिखाने को मजबूर हैं। इसकी वजह यह है कि मध्य भारत में हॉकी की नर्सरी कहे जाने वाले जिस 80 साल पुराने प्रकाश हॉकी क्लब में नेगी ने खेल का ककहरा सीखा, उसके मैदान की जगह पर स्थानीय निकाय ने कचरा निपटान संयंत्र बना दिया है।

इसके अलावा, शहर लम्बे समय से एक अदद एस्ट्रो टर्फ मैदान को तरस रहा है। नेगी (62) ने रविवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, "हम रेसिडेंसी क्षेत्र में जिला जेल की दीवार से लगे फुटपाथ और इसके पास की खाली सड़क पर हॉकी के करीब 125 नये खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों के हैं।" 

उन्होंने बताया कि हॉकी के ये उभरते खिलाड़ी रेसिडेंसी क्षेत्र में वर्ष 1940 में स्थापित प्रकाश हॉकी क्लब से जुड़े हैं। इस क्लब का मैदान अधिग्रहित कर इंदौर नगर निगम (आईएमसी) ने कचरा निपटान संयंत्र बना दिया है और क्लब को इसके बदले नयी जगह अब तक नहीं मिल सकी है। हॉकी को लेकर सरकारी उपेक्षा पर नाराज नेगी ने कहा, "सारी तवज्जो बस क्रिकेट को दी जा रही है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इंदौर जैसे बड़े शहर में हॉकी का एक भी एस्ट्रो टर्फ मैदान नहीं है।" 

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पूर्व गोलकीपर ने सुझाया कि प्रदेश सरकार को शहर के खंडवा रोड पर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के परिसर में हॉकी का एस्ट्रो टर्फ मैदान बनाने के लिये जगह देनी चाहिये। नेगी ने कहा, "हॉकीप्रेमी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हमारा निवेदन है कि वह इंदौर में जल्द से जल्द एस्ट्रो टर्फ मैदान बनवायें। शहर में हॉकी को दोबारा जिंदा करने के लिये यह मैदान बेहद जरूरी है।" सरकारी तंत्र से कई बार मांग करने के बावजूद अब तक नये मैदान से वंचित प्रकाश हॉकी क्लब के साथ भारतीय हॉकी की सुनहरी विरासत जुड़ी है। 

क्लब के सचिव देवकीनंदन सिलावट बताते हैं, "वर्ष 1948 के लंदन ओलंपिक में आजाद भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली हॉकी टीम के कप्तान किशन लाल का हमारे क्लब से संपर्क रहा है। देश के महान हॉकी गोलकीपर शंकर लक्ष्मण भी हमारे क्लब का हिस्सा रहे हैं।" उन्होंने बताया, "हमने आईएमसी से मांग की है कि वह रेसिडेंसी क्षेत्र में हमारे लिये हॉकी मैदान जल्द से जल्द तैयार कराये ताकि हमें फुटपाथ और सड़क पर खिलाड़ियों को अभ्यास कराने के लिये मजबूर न होना पड़े।" 

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