1895 में गामा का सामना देश के सबसे बड़े पहलवान रुस्तम-ए-हिंद रहीम बक्श सुल्तानीवाला से हुआ। रहीम की लंबाई 6 फुट 9 इंच थी, जबकि गामा सिर्फ 5 फुट 7 इंच के थे लेकिन उन्हें जरा भी डर नहीं लगा। गामा ने रहीम से बराबर की कुश्ती लड़ी और आखिरकार मैच ड्रॉ हुआ।
1911 में गामा का सामना फिर रहीम बक्श से हुआ। इस बार रहीम को गामा ने चित कर दिया। इसके बाद, 1927 में गामा ने आखिरी फाइट लड़ी। उन्होंने स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन को हराकर खामोशी से इस खेल को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
1947 में बंटवारे के बाद गामा पाकिस्तान में बस गए और वहीं लंबी बीमारी झेलते हुए 1963 में उनकी मौत हो गई।