9 साल का श्रेयस रॉयल शतरंज में अपने से दस साल बड़े बच्चों को चुटकियों में हरा देता है. वह इस खेल की दुनियां में ब्रिटेन में जानामान नाम है लेकिन अब उसका परिवार और इंगिलिश शतरंज संघ उसे ब्रिटेन में बसे रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. श्रेयस का परिवार चाहता है कि वह देश का पहला विश्व चैंपियन बने. श्रेयस इंग्लैंड में तीन साल की उम्र से रह रहा है लेकिन अब उसके पिता जितेंद्र सिंह का वर्क वीज़ा सितंबर में समाप्त हो रहा है और श्रेयस को वापस भारत लौटना पड़ेगा.
38 साल के जितेंद्र टाटा मोटर्स में IT मैनेजर हैं. वह उनकी पत्नी अंजू अनिश्चितकालीन अवकाश के लिए इस आधार पर संघर्ष कर रहे हैं उनका बेटा देश की धरोहर है. उन्हें इंग्लिश शतरंज संघ और मशहूर शतरंज ट्रेनर जूलियन सिम्पोल का समर्थन मिल रहा है. जितेंद्र और अंजू बेंगलोर के रहने वाले हैं.
सिम्पोल का कहना है कि उन्होंने इस तरह का बच्चा कभी नहीं देखा. उसके पास कमाल की प्रतिभा है. वह भविष्य का चैंपियन है. श्रेयस लंदन में पोइंटर स्कूल में पढ़ता है जिसके लिए उसे स्कॉलरशिप भी मिली हुई है. उसने इसी स्कूल में शतरंज खेलना सीखा.
श्रेयस को विश्व के सबसे युवा उम्मीदवार मास्टर का ख़िताब मिल चुका है. उनका कहना है कि शतरंज उनके लिए स्वाभाविक खेल है. उन्हें ये इसलिए पसंद है क्योंकि इसमें दिमाग़ लगता है शारीरिक ताक़त नहीं.
श्रेयस के पिता का कहना है कि अगर उन्हें भारत लौटना पड़ा तो श्रेयस शतरंज नहीं खेल पाएगा.