Friday, November 22, 2024
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गोलियों की आवाज से लेकर शरणार्थी शिविर तक, ऐसे गुजरा है फीफा के बेस्ट फुटबॉलर का बचपन

क्रोएशिया में पहले से ही एक नायक के तौर पर पहचाने जाने वाले मोडरिच बेलोन डिओर का खिताब जीतने से पहले इस साल सितंबर में फीफा के साल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का खिताब जीत चुके है।

Reported by: Bhasha
Updated on: December 04, 2018 18:19 IST
गोलियों की आवाज से लेकर शरणार्थी शिविर तक, ऐसे गुजरा है फीफा के बेस्ट फुटबॉल का बचपन- India TV Hindi
Image Source : AP गोलियों की आवाज से लेकर शरणार्थी शिविर तक, ऐसे गुजरा है फीफा के बेस्ट फुटबॉल का बचपन  

मोडरिची। फुटबॉल की दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक बेलोन डिओर का खिताब जीतने वाले क्रोएशिया और रीयाल मैड्रिड के मिडफील्डर ल्यूका मोडरिच का बचपन युद्धग्रस्त देश में शरणार्थी की तरह बीता था। मोडरिच जब छह वर्ष के थे तब उनका देश युद्ध की चपेट में था और उन्होंने शरणार्थी की जिंदगी जीते हुए फुटबॉल के गुर सीखे। 1991 से 1995 तक कोएशिया और सर्बिया विद्रोहियों के बीच युद्ध चल था। क्रोएशिया में पहले से ही एक नायक के तौर पर पहचाने जाने वाले मोडरिच बेलोन डिओर का खिताब जीतने से पहले इस साल सितंबर में फीफा के साल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का खिताब जीत चुके है। 

मोडरिच को बेलोन डिओर का यह खिताब अपने देश को फुटबॉल विश्व कप के फाइनल में पहुंचाने और अपने क्लब रीयाल मैड्रिड को लगतार तीसरी बार चैम्पियन्स लीग का खिताब दिलवाने में अहम भूमिका निभाने के लिए दिया गया। मोडरिच ने क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी जैसे सितारो को पछाड़कर बेलोन डिओर हासिल किया । इस खिलाड़ी ने कहा,‘‘ मेरे लिये यह खास लमहा है, मैं खुश हूं और गौरवान्वित तथा सम्मानित महसूस कर रहा हूं।’’ 

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर बने इस खिलाड़ी का बचपन मुश्किलों से भरा रहा है। युद्धग्रस्त देश में बचपन में शरणार्थी की जिंदगी जीने वाले इस फुटबॉलर के दादा को सर्बिया की सेना ने मार दिया था। इसके बाद उनका परिवार अपना घर छोड़कर तटवर्ती शहर जादर में शरणार्थी की तरह रहने लगा था। इसी जगह पर मोडरिच ने फुटबॉल में अपनी क्षमता से सबको प्रभावित करना शुरू किया। एनके जादर क्लब के कोच जोसिप बाज्लो ने कहा, ‘‘ मैंने एक प्रतिभावान छोटे बच्चे के बारे में सुना था जो रिफ्यूजी होटल के आस-पास फुटबॉल खेलता था और सोते समय भी फुटबॉल अपने साथ रखता था।’’ 

बाज्लो ने मोडरिच के खेल को देखकर उसे क्लब के फुटबॉल स्कूल के साथ जोड़ जहां थोड़े समय में ही उन्होंने अपनी पहचान बना ली। युद्ध के दौरान जादर और आस-पास के क्षेत्रों में काफी गोलीबारी हुई थी। मोडरिच के बचपन के दोस्त मारिजन बुलजात ने कहा, ‘‘ लाखों बार ऐसा हुआ कि जब हम अभ्यास कर रहे थे तो वहां गोलीबारी हो रही थी, हम छुपने के लिए आसपास के घर की ओर भागते थे।’’ 

वह 2008 में इंग्लिश प्रीमियर लीग की टीम टॉटनहैम हॉटस्पर से जुड़े और 2012 में रीयाल मैड्रिड बड़ी बोली लगाकर उनसे करार करने में सफल रहा। मोडरिच पर भ्रष्टाचार के मामले में झूठी गवाही देना के आरोप लगा। जिससे उनकी साफ छवि दागदार भी हुई लेकिन अदालत ने इस मामले में सबूतों के अभाव में सोमवार को उन्हें बरी कर दिया। फीफा विश्व कप के फाइनल में फ्रांस से 4-2 से हारने के बाद भी कप्तान मोडरिच और उनकी टीम का देश की राजधानी जगरेब पहुंचने पर नायकों की तरह स्वागत किया गया जिसमें पाचं लाख से ज्यादा लोग शामिल हुये थे।

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