टोक्यो ओलंपिक में झंडे गाड़ने वाले भारतीय एथलीटों के महिमामंडन को अभी कुछ समय बीता ही था कि घरेलू सर्किट में एक नये चेहरे ने नेशनल रिकॉर्ड तोड़ते हुए सनसनी मचा दी। ये चेहरा था हरमिलन बैंस का जिन्होंने वारंगल में 15 से 17 सितंबर के बीच हुई 60वीं नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 800 मीटर और 1500 मीटर रेस में न केवल गोल्ड मेडल अपने नाम किए बल्कि 19 साल पुराना 1500 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया। हरमिलन की नजरें अब घरेलू सर्किट में मिली शानदार सफलता अगले साल होने वाले एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में दोहराने की हैं जिसके लिए वह फिलहाल स्पांसर की तलाश में जुटी हैं।
एथलीट बैकग्राउंड से आने वाली हरमिलन को बचपन से ही परिवार में खेल का माहौल मिला है। उनकी मां मांधुरी सक्सेना ने 2002 बुसान एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था जबकि उनके पिता अमनदीप सिंह साउथ एशियन गेम्स में 1500 मीटर का गोल्ड जीत चुके हैं। हरमिलन का लक्ष्य इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए इंटरनेशनल लेवल पर भारत का एथलेटिक्स में नाम रोशन करना है।
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हरमिलन के खून में ही रनिंग है और इसी काबिलियत के दम पर वह एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने की तैयारी में लगी है। हरमिलन ने नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 4:05.39 का समय निकालते हुए नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया था लेकिन उन्हें वर्ल्ड क्लास एथलीटों से मुकाबला करने के लिए अभी भी अपने प्रदर्शन में लगातार सुधार करने की दरकार हैं और इस बात को हरमिलन बखूबी समझती है।
इंडिया टीवी से खास बातचीत में हरमिलन ने माना कि एशिया की दिग्गज एथलीट नोज़ोमी तनाका (2018 एशियन जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड और वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में गोल्ड) को टक्कर देने के लिए उन्हें प्रदर्शन में 5 सेकंड का सुधार करने की जरूरत है और इसी के चलते वह अपने प्रदर्शन में सुधार के लिए नए तरीकों की तलाश कर रही हैं और हाई एल्टीट्यूड लोकेशन पर विशेष रूप से केन्या में प्रशिक्षण लेने की योजना बना रही हैं।
हरमिलन बैंस ने इंडिया टीवी से कहा, "पिछले एक साल में मैंने अपने कोच की वजह से वास्तव में अच्छा सुधार किया है और अगर मैं पांच सेकंड या उससे ज्यादा का सुधार कर लेती हूं, तो मैं एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल की दावेदारों में शामिल हो सकती हूं। मुझे लगता है कि यह हासिल किया जा सकता है लेकिन मेरे लिए स्पांसर (प्रायोजक) ढूंढना अहम है।"
पटियाला स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के ट्रैक पर अक्सर ट्रेनिंग करने वाली हरमिलन आगे कहती हैं, "मैं हाई एल्टीट्यूड वाले स्थान पर ट्रेनिंग करने के बारे में सोच रही हूं, विशेष रूप से केन्या में जहां दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीट ट्रेनिंग लेते हैं।"
हरमिलन बैंस जहां केन्या में ट्रेनिंग करने की योजना बना रही है तो वहीं उनके कोच सुरेश कुमार सैनी का मानना है कि युवा एथलीट को विदेश में ट्रेनिंग से ज्यादा अपने प्रतिस्पर्धियों से मुकाबला करने के लिए विदेशों में होने वाली आगामी प्रतियोगिताओं में भाग लेने की जरूरत है।
कोच सुरेश कुमार ने कहा, "विदेश में ट्रेनिंग से फायदा होगा लेकिन इससे भी ज्यादा यह महत्वपूर्ण है कि वह एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के लिए विदेशी प्रतियोगिताओं में भाग लें। हम हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग के लिए धर्मशाला (समुद्र तल से ऊंचाई-1457 मीटर) में ट्रेनिंग कर चुके हैं और भारत में भी अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन तब तक कुछ भी उसे बेहतर तैयार नहीं करेगा जब तक वह ये नहीं जान जाती कि उस टक्कर देने वाले प्रतियोगी कौन हैं।"
वारंगल में सफलता के नए आयाम लिखने के बाद हरमिलन को एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) द्वारा बेंगलुरु में नेशनल कैंप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। हालांकि, पटियाला में अपने कोच की व्यक्तिगत प्रतिबद्धताओं के कारण वह कैंप में भाग नहीं ले पाएगी।