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एशियन गेम्स में मेडल जीतना नहीं, 5वीं बार में बारहवीं पास करना सबसे सुखद लम्हा: रजत चौहान

उन्होंने कहा,‘‘उम्मीद करता हूं कि मुझे कालेज की पढ़ाई पूरी करने में इतना समय नहीं लगेगा। मेरे पास नौकरी भी नहीं है इसलिए मेरे लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है।’’ 

Reported by: Bhasha
Published on: August 28, 2018 17:38 IST
रजत चौहान- India TV Hindi
रजत चौहान

जकार्ता: भारतीय तीरंदाज रजत चौहान एशियाई खेलों में लगातार दूसरा पदक जीतकर खुश हैं लेकिन यह 24 साल के खिलाड़ी एक और चीज के लिए भी इतना ही खुश है और वह है पांच कोशिशों के बाद 12वीं की परीक्षा पास करना। पिछले एशियाई खेलों में कंपाउंड टीम का गोल्ड मेडल जीतने वाले चौहान ने तीरंदाज के रूप में काफी कुछ हासिल किया है। उन्हें आम जन की तरह स्कूल, कालेज और फिर उच्च शिक्षा पर चलने की जरूरत नहीं थी लेकिन वह इससे सहमत नहीं हैं। 

चौहान ने कहा,‘‘वो कहावत अभी भी लागू है। पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे होंगे खराब। मेरे परिवार में इसे अब भी काफी गंभीरता से लिया जाता है। मुझे काफी संतोष मिलता है कि इतने सारे प्रयास के बाद मैं इसे पास करने में सफल रहा।’’ 

स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आखिरकार चौहान कालेज को लेकर काफी उत्साहित हैं और उनकी नजरें विश्व विश्वविद्यालय खेलों पर टिकी हैं। उन्होंने कहा,‘‘उम्मीद करता हूं कि मुझे कालेज की पढ़ाई पूरी करने में इतना समय नहीं लगेगा। मेरे पास नौकरी भी नहीं है इसलिए मेरे लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है।’’ 

देश को गौरवांवित करने के बावजूद चौहान बेरोजगार हैं। उन्होंने 2015 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक भी जीता था। चौहान का अच्छा स्वभाव टीम के मनोबल को ऊंचा रखता है और टीम के उनके साथी अभिषेक वर्मा और 21 साल के अमन सैनी भी इससे सहमत हैं। निरंतर रूप से 10 अंक पर निशाना साधने की चौहान की क्षमता शानदार है जबकि उन्हें अंतिम प्रयास में निशाना लगाना होता है जिससे अतिरिक्त दबाव भी होता है। उनका वजन 90 किग्रा है लेकिन चौहान ने कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है। 

उन्होंने कहा,‘‘वजन तो कम हो जाएगा। बीच में बहन की शादी थी तो बढ़ गया। वैसे भी तीरंदाजी में उम्र मायने नहीं रखती। पिछली बार थोड़े से भाग्य के सहारे हमने स्वर्ण पदक जीता था, आज हमने रजत पदक जीता जबकि हमें स्वर्ण जीतना चाहिए था। ऐसा होता है।’’ 

चौहान के प्रशंसक और कंपाउंड टीम के एक और रोचक व्यक्ति दिल्ली के सैनी हैं जो तीरंदाजी से पहले ताइक्वांडो में राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके हैं। दिल्ली विश्व विद्यालय से स्नातक सैनी ने कहा,‘‘ताइक्वांडो में आप एक दूसरे को हिट करते हो और तीरंदाजी में आप एक दूसरे के बाद हिट करते हो। इससे मुझे शांति मिलती है।’’ 

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