भारत के ध्वजावाहक रहे नीरज चोपड़ा ने अपने पहले ही एशियन गेम्स में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करते हुए 18वें एशियाई खेलों के नौवें दिन जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। नीरज ने अपनी सर्वश्रेष्ठ थ्रो 88.06 मीटर की फेंकी और गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। नीरज ने यह सोने का तमगा पांच में से दो कोशिशों में विफलता के बाद भी हासिल किया।
नीरज ने अपने पहले प्रयास में 83.46 मीटर की थ्रो फेंकी। वहीं उनका दूसरा प्रयास फाउल हो गया। तीसरे प्रयास में उन्होंने 88.06 मीटर की थ्रो फेंक अपना गोल्ड पक्का कर लिया था और हुआ भी यही। उनकी इस थ्रो के बाद कोई भी खिलाड़ी उनके आस-पास नहीं भटक सका। चौथी कोशिश में नीरज ने 83.25 मीटर की दूरी मापी। उनका आखिरी कोशिश भी फाउल रही लेकिन इससे नीरज के गोल्ड मेडल पर कोई असर नहीं पड़ा।
किसान के बेटे हैं नीरज
हरियाणा के पानीपत जिले के खांडरा गांव के रहने वाले नीरज चोपड़ा के पिता सतीश चोपड़ा किसान हैं। नीरज पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं। नीरज ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से अपनी पढ़ाई की। आज जो नीरज जेवलिन थ्रो में दुनिया में भारत का नाम ऊंचा कर रहे हैं वो दरअसल एक कबड्डी खिलाड़ी बनना चाहते थे। लेकिन एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने कबड्डी छोड़ जेवलिन थ्रो में हाथ आजमाया। बस यहीं से एथलेटिक्स में नीजर का वो सफर शुरू हुआ जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
नीरज की अबतक की बड़ी उपल्बधियां
नीरज अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी विश्व चैम्पियनशिप स्तर पर एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले वह दूसरे भारतीय हैं। 2016 में पोलैंड में हुए आइएएएफ U20 विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी। इस मेडल के साथ- साथ उन्होंने एक विश्व जूनियर रिकॉर्ड भी बनाया है। 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए 82.23 मीटर तक भाला फेंक कर गोल्ड मेडल जीता था। इसके अलावा उन्होंने 85.23 मीटर का भाला फेंककर 2017 एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भी गोल्ड मेडल जीता था। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए 2018 राष्ट्रमण्डल खेलों में नीरज ने 86.47 मीटर भाला फेंककर गोल्ड मेडल अपने नाम किया था और एशियन गेम्स में भी उन्होंने यही गोल्डन प्रदर्शन जारी रखा।
बहुत कड़ा कॉम्पिटिशन था
नये राष्ट्रीय रिकॉर्ड के गोल्ड मेडल जीतकर भारतीय खेलों में नया इतिहास रचने वाले युवा एथलीट नीरज चोपड़ा ने कहा कि उनका लक्ष्य एशियाई खेलों का रिकॉर्ड बनाना था जिसे वह मामूली अंतर से चूक गये। नीरज ने 88.06 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता। वह अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे रहे। उन्होंने भले ही आसानी से सोने का तमगा हासिल किया लेकिन नीरज ने कहा कि प्रतिस्पर्धा कड़ी थी।
राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना पाया इसलिए खुश हूं
इस 20 साल के एथलीट ने कहा,‘‘यह आसान नहीं था। अच्छे थ्रोअर भी थे लेकिन वे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाये। मैंने बहुत अच्छी तैयारी की थी और एशियाई रिकार्ड बनाना चाहता था लेकिन भाले की लंबाई मसला था और इस वजह से मैं इच्छित दूरी हासिल नहीं कर पाया।’’एशियाई खेलों का रिकार्ड 89.75 मीटर का है जो चीन के झाओ क्विंगगैंग ने 2014 में इंचियोन एशियाई खेलों में बनाया था। नीरज ने कहा,‘‘लेकिन मैं फिर भी राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने में सफल रहा और मैं खुश हूं। मैं आगे इसमें सुधार करने की कोशिश करूंगा। एक सफल थ्रो के लिये कई चीजों की जरूरत पड़ती है। जब आपकी तकनीक और स्पीड अच्छी होती है तो आप अच्छी थ्रो करते हो और ऐसा तीसरे प्रयास में हुआ।’’
कोच के निधन से दुखी था
नीरज ने कहा कि हाल में अपने पूर्व कोच गैरी कालवर्ट के निधन से दुखी थे। इस युवा एथलीट ने कहा,‘‘उन्होंने (कालवर्ट) कहा था कि वह मुझसे एशियाई खेलों में मिलेंगे। मैं तब फिनलैंड में था जब मुझे उनके निधन की खबर मिली। मैं क्या कर सकता हूं, यह प्रभु की इच्छा थी। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।’’