Friday, December 20, 2024
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एशियन गेम्स: निशानेबाजी के लिए घरवालों से बगावत कर बैठे थे 16 साल के गोल्ड मेडलिस्ट सौरभ

सौरभ ने जब घरवालों को बताया कि वह प्रतिस्पर्धी निशानेबाजी करना चाहते हैं तो उनके घर वाले इसके खिलाफ नजर आए।

Reported by: IANS
Updated : August 22, 2018 18:18 IST
सौरभ चौधरी 
सौरभ चौधरी 

नई दिल्ली: एशियाई खेलों में भारत के लिए स्वर्ण जीतने वाले सबसे युवा एथलीट 16 साल के निशानेबाज सौरभ चौधरी का प्रतिस्पर्धी निशानेबाजी का सफर घरवालों से बगावत के साथ शुरू हुआ था। सौरभ ने जब घरवालों को बताया कि वह प्रतिस्पर्धी निशानेबाजी करना चाहते हैं तो उनके घर वाले इसके खिलाफ नजर आए। सौरभ को तो निशानेबाजी करनी थी और इसीलिए उन्होंने घरवालों से रार ठान ली। खाना-पीना छोड़ दिया। अंत में थक-हारकर घरवालों ने उन्हें इसकी इजाजत दे ही दी।

सौरभ ने इंडोनेशिया के जकार्ता में जारी 18वें एशियाई खेलों के तीसरे दिन मंगलवार को पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। सौरभ ने एशियाई खेलों में इस स्पर्धा का रिकॉर्ड तोड़ते हुए कुल 240.7 अंक हासिल किए और सोना जीता।

सौरभ के पिता जगमोहन चौधरी ने बताया कि उन्होंने सौरभ को निशानेबाजी के लिए मना कर दिया था। इसके बाद सौरभ नाराज हो गया और जिद पर अड़ गया। ऐसे में परिवार को उसकी जिद मानकर हां कहनी पड़ी। 

बेटे की सफलता से खुश पिता ने कहा, "उसने 2015 में निशानेबाजी शुरू की। आस पड़ोस में कुछ बच्चे हैं। उनको देखकर उसको शौक हुआ। उसने आकर घर पर कहा, लेकिन हमने मना किया। हमने कहा कि पढ़ाई पर ध्यान दो। पढ़ाई और खेल साथ-साथ नहीं चल सकते। फिर वो गुस्सा हो गया। दो-तीन दिन तक गुस्सा ही रहा। खाना भी नहीं खाया। तो फिर हमने कहा कि ठीक है कर लो। हमने भी सोच लिया की जो होगा, सो होगा। इसे निशानेबाजी करने देते हैं। इसके बाद तो वह रुका नहीं।"

सौरभ अभी 10वीं क्लास में है। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने नौकरी देने का भी ऐलान कर दिया है। सौरभ के पिता ने कहा कि उन्हें अपने बेटे के पदक जीतने की उम्मीद थी। 

जगमोहन ने कहा, "पिछले दो साल से वह जहां भी खेला है, लगभग हर जगह से पदक के साथ लौटा है। चाहे वो राष्ट्रीय स्तर हो या अंतर्राष्ट्रीय स्तर, उसने अपनी प्रतिभा के साथ न्याय किया है। इसलिए उम्मीद थी कि पदक लेकर आएगा। लेकिन समय का भरोसा नहीं रहता कि कब बदल जाए।"

खेती करने वाले जगमोहन ने कहा कि सौरभ कह के गया था कि अपना सर्वश्रेष्ठ करूंगा। पदक जीतने के बाद वह बहुत खुश था। 

सौरभ जब जकार्ता में निशाने पर निशाने लगा रहे थे तब पूरा परिवार ध्यान से उनका मैच देख रहा था। जगमोहन ने कहा कि मैच के दौरान घरवालों के माथे पर शिकन थी और आखिरी के 3-4 शॉट्स में सौरभ की मां ने डर के कारण टीवी नहीं देखा। 

उन्होंने कहा, "उम्मीद तो थी लेकिन जब टीवी पर देख रहे थे तब दिल तो धड़क ही रहा था। एक-एक निशाने पर लग रहा था कि क्या होगा। आगे जाएगा, रह जाएगा। जब आखिरी 3-4 निशाने रह गए तो उसकी मां ने डर के कारण टीवी नहीं देखी।"

सौरभ जकार्ता से नई दिल्ली आएंगे और अभ्यास शिविर में हिस्सा लेकर कोरिया में टूर्नामेंट खेलने जाऐंगे। उनके पिता ने कहा कि जब उनका बेटा लौटकर आएगा तो उसका जोरदार स्वागत करेंगे। 

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