पालेमबांग-जकार्ता। भारत के किशोर निशानेबाजों के हैरतअंगेज प्रदर्शन को आगे बढ़ाते हुए शार्दुल विहान ने एशियाई खेलों में आज रजत पदक जीता लेकिन जिस कबड्डी में टीम का स्वर्ण पदक पक्का माना जा रहा है उसमें टीम सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गयी।
भारत आज एक भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया। वह अब चार स्वर्ण, चार रजत और दस कांस्य पदक सहित कुल 18 पदक लेकर दसवें स्थान पर है। सौरभ चौधरी के सबसे कम उम्र में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने के बाद आज 15 वर्षीय विहान रजत पदक जीतकर एशियाई खेलों में सबसे कम उम्र में पदक जीतने वाले भारतीय बन गये। वह डबल ट्रैप में दूसरे स्थान पर रहे।
मेरठ के रहने वाले विहान ने क्वालीफिकेशन में शीर्ष पर रहने के बाद फाइनल में 73 अंक बनाये। दक्षिण कोरिया के 34 वर्षीय ह्यूनवू शिन ने स्वर्ण और कतर के 42 वर्षीय हमद अली अल मारी ने कांस्य पदक जीता।
विहान ने कहा, ‘‘सर (कोच मनशेर सिंह) ने बोला कि सब तेरे से बड़ी उमर के होंगे। बेपरवाह होकर खेलना और मैंने ऐसा ही किया।’’ पालेमबांग में निशानेबाजी में इतिहास रचा लेकिन उससे 600 किमी दूर जकार्ता में कबड्डी टीम ने शर्मनाक प्रदर्शन किया और उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
एशियाई खेलों के इतिहास में पहली बार भारतीय टीम इस स्वदेशी खेल में स्वर्ण पदक के बिना लौटेगी। टीम को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
इस खेल में भारत का स्वर्ण पदक पक्का माना जाता था लेकिन आज 18-27 की हार के साथ भारतीय खेमे के कुछ लोग रोने लगे जबकि अन्य सकते में आ गए। इसके साथ ही एशियाई खेलों में 1990 से चला आ रहा भारत का दबदबा भी खत्म हो गया।
भारतीय कोच राम मेहर सिंह ने मैच के बाद कहा, ‘‘हम कप्तान के अति आत्मविश्वास के कारण मैच हारे। चोट और सुपरटैकल ने भी अपनी भूमिका निभायी।’’ टेनिस कोर्ट से कुछ अच्छी खबर सुनने को मिली। रोहन बोपन्ना और दिविज शरण ने अपने अनुभव का पूरा फायदा उठाकर पुरूष युगल स्पर्धा के फाइनल में प्रवेश किया।
महिलाओं के एकल में हालांकि अंकिता रैना को शीर्ष वरीय शुआई झांग के खिलाफ अपने बेहतरीन खेल के बावजूद कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
एक अन्य पदक तब सुनिश्चित हुआ जब दुनिया के 161वें नंबर के खिलाड़ी प्रज्नेश गुणेश्वरन ने करीब चार घंटे तक चले मैराथन क्वार्टरफाइनल में दक्षिण कोरिया के 273वीं रैंकिंग पर काबिज क्वोन सूनवू ने 6-7, 6-4, 7-6 से शिकस्त दी।
भारत ने स्क्वाश में भी कम से कम एक कांस्य पदक पक्का कर लिया क्योंकि देश के शीर्ष रैंकिंग के खिलाड़ी सौरव घोषाल पुरूष एकल क्वार्टरफाइनल में हमवतन हरिंदर पाल संधू से भिड़ेंगे। महिलाओं के एकल में जोशना चिनप्पा और दीपिका पल्लीकल ने भी क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया।
बैडमिंटन में विश्व चैम्पियनशिप की रजत पदक विजेता पी वी सिंधू ने वियतनाम की वू थि त्रांग से मिली कड़ी चुनौती से उबरते हुए जीत दर्ज की जबकि राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता साइना नेहवाल एकतरफा मुकाबला जीतकर दूसरे दौर में पहुंच गई ।
सिंधू को पहले दौर में अप्रत्याशित रूप से काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने 58 मिनट तक चले मुकाबले में 21-10, 12-21, 23-21 से जीत दर्ज की। वहीं साइना ने ईरान की सुरैया अघाजियाघा को सिर्फ 26 मिनट में 21-7, 21-9 से मात दी। अब उनका सामना इंडोनेशिया की फित्रियानी फित्रियानी से होगा।
तीरंदाजी में हालांकि निराशाजनक प्रदर्शन जारी रहा। दुनिया के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी दीपिका कुमारी फिर से नाकाम रही और उनकी अगुवाई में रिकर्व तीरंदाजों ने निराश किया जिससे उनकी चुनौती भी समाप्त हो गयी। आज केवल अतनु दास ही क्वार्टर फाइनल में पहुंचे लेकिन वह भी इससे आगे नहीं बढ़ पाये।
भारोत्तोलन में भी अच्छी खबर नहीं मिली। अजय सिंह पुरूषों के 77 किग्रा में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद पांचवें स्थान पर आये जबकि अनुभवी सतीश शिवालिंगम चोटिल हो गये।
भारत के अजय सिंह दसवें एशियाई खेलों के भारोत्तोलन में आज यहां अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ पांचवें स्थान पर रहे जबकि उनके वरिष्ठ साथी सतीश शिवालिंगम पुरूषों के 77 किग्रा भार वर्ग की स्पर्धा के दौरान चोटिल हो गये। सतीश ने आखिर में कुल 314 किग्रा (144 किग्रा + 170 किग्रा) भार उठाया।
एशियाई युवा एवं जूनियर भारोतोलन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले 21 वर्षीय अजय ने अपने हमवतन से बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन 327 किग्रा (145 किग्रा+182 किग्रा) भार उठाने के बावजूद वह पोडियम तक नहीं पहुंच पाये।
तैराकी में श्रीहरि नटराज ने 200 मीटर बैकस्ट्रोक में दो बार राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया लेकिन फाइनल में वह छठे स्थान पर रहे जबकि वीरधवल खाड़े 50 मीटर बटरफ्लाई के फाइनल में आठवें और अंतिम स्थान पर आये।
गोल्फ से हालांकि सकारात्मक खबर मिली। आदिल बेदी ने प्रतियोगिता के पहले दिन बोगी मुक्त 69 का कार्ड खेलकर भारतीय पुरूष टीम को आज शानदार शुरुआत दिलायी। उनके इस प्रयास से टीम और वह स्वयं संयुक्त दूसरे स्थान पर हैं। लेकिन भारतीय नौकायन दल के लिये आज का दिन निराशाजनक रहा जिसमें वे पुरूष सिंगल स्कल्स और डबल स्कल्स जैसी स्पर्धाओं सहित चार पदकों से चूक गये।
स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार दत्तू भोकानल से सबसे ज्यादा निराशा हुई क्योंकि सिंगल स्कल्स फाइनल में छठे और अंतिम स्थान पर रहे। उन्होंने आठ मिनट 28.56 सेकेंड का समय लिया। वह इन खेलों से पहले सात मिनट का समय निकाल रहे थे।