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Year ender 2019: गोल्ड जीतने के बावजूद 'ना बजा राष्ट्रगान ना ही लहराया तिरंगा', दर्द भरा रहा तीरंदाजों का सफर

अभिषेक वर्मा और ज्योति सुरेखा मिश्रित युगल का स्वर्ण जीतकर पोडियम पर पहुंचे तो न तो राष्ट्रगान बजा और ना ही तिरंगा लहराया और इन खिलाड़ियों को ‘ओलंपिक एथलीट’ के तौर पर संबोधित किया गया। 

Reported by: Bhasha
Published on: December 25, 2019 12:56 IST
Archer- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGE Archer

कोलकाता| भारतीय तीरंदाजों के कुछ प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन पर वर्ष 2019 में राष्ट्रीय महासंघ का निलंबन और गुटबाजी हावी रही और अब जबकि टोक्यो ओलंपिक में कुछ महीनों का समय बचा है तब भी हालात सुधरने के बजाय बिगड़ते जा रहे हैं। भारतीय तीरंदाजी को अगस्त में करारा झटका लगा जब विश्व तीरंदाजी ने भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) को निलंबित कर दिया था। 

विश्व संस्था ने यह फैसला दो गुटों द्वारा दिल्ली और चंडीगढ़ में समानांतर चुनाव कराने के कारण लिया क्योंकि यह उसके दिशानिर्देशों के खिलाफ है। इस निलंबन के कारण बैंकॉक एशियाई चैंपियनशिप में एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक जीतकर शानदार प्रदर्शन करने वाले तीरंदाजों पर किसी का ध्यान नहीं गया और उन्हें विश्व तीरंदाजी के ध्वज तले तटस्थ तीरंदाज के रूप में भाग लेने पर मजबूर होना पड़ा। 

भारतीयों ने एशिया में कोरिया के बाद खुद को दूसरा मजबूत प्रतिस्पर्धी साबित किया। अभिषेक वर्मा और ज्योति सुरेखा ने कंपाउंड मिश्रित युगल का स्वर्ण जीतकर कोरिया को क्लीन स्वीप करने से रोक दिया था। लेकिन जब वे पोडियम पर पहुंचे तो न तो राष्ट्रगान बजा और ना ही तिरंगा लहराया और इन खिलाड़ियों को ‘ओलंपिक एथलीट’ के तौर पर संबोधित किया गया। 

वर्मा ने जीत के बाद कहा, ‘‘यह बहुत बुरा अहसास था और इससे यहां तक कि हमारे प्रतिस्पर्धी भी हैरान था। हम कुछ नहीं कर सकते। मेरा सभी से आग्रह है कि वह इस गुटबाजी को छोड़ें क्योंकि इसका खामियाजा हम तीरंदाजों को भुगतना पड़ रहा है। ’’ 

असल में भारतीयों को बैंकॉक में खेलने की अनुमति केवल इसलिए मिली क्योंकि यह महाद्वीपीय ओलंपिक क्वालीफायर था जिसमें दीपिका कुमारी ने टोक्यो ओलंपिक के लिये कोटा हासिल किया। निलंबन के कारण भारत को नेपाल में दक्षिण एशियाई खेलों में भी प्रवेश नहीं मिला जिसका फायदा उठाकर बांग्लादेश ने दांव पर लगे सभी दस स्वर्ण पदक जीते। 

रियो ओलंपिक में जगह बनाने से चूकने वाली भारतीय पुरुष टीम ने डेन बोस्क विश्व चैंपियनशिप से टोक्यो ओलंपिक में अपना स्थान पक्का किया। इस टीम में तरुणदीप राय, अतनु दास और प्रवीण जाधव शामिल हैं। ये तीनों विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में भी पहुंचे जहां उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा। 

इस चैंपियनशिप के इतर ही विश्व तीरंदाजी के 15 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड ने एएआई को निलंबित करने का फैसला किया जो एक महीने बाद घोषित किया गया। तीरंदाजी संघ का मामला अब दिल्ली उच्च न्यायालय में है और जनवरी में चुनाव होने की संभावना है लेकिन आगामी ओलंपिक में तीरंदाज भारत का प्रतिनिधित्व कर पाएंगे या नहीं इसको लेकर कयास ही लगाये जा रहे हैं। 

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