नई दिल्ली। राष्ट्रीय टेनिस महासंघ ने एशियाई खेलों के बाद से देश के शीर्ष एकल खिलाड़ियों के टॉप्स योजना में दोबारा शामिल कराने की मांग नहीं की और यहां तक कि युगल विशेषज्ञ रोहन बोपन्ना और दिविज शरण पर भी अलग होने के बाद इससे बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है।
इस समय विभिन्न स्पर्धाओं के 71 एथलीट टॉप्स के अंर्तगत वित्तीय सहायता हासिल कर रहे हैं और बोपन्ना व शरण इस सूची में शामिल टेनिस खिलाड़ी हैं। टोक्यो ओलंपिक को देखते हुए सत्र के शुरू में इन दोनों ने एक साथ खेलने का फैसला किया था लेकिन नतीजे मनमुताबिक नहीं रहे जिससे उन्हें अलग जोड़ीदारों के साथ खेलने पर बाध्य होना पड़ा।
अब सरकार ने अखिल भारतीय टेनिस महासंघ (एआईटीए) से पूछा है कि ये अलग क्यों हुए और महासंघ ने इसके जवाब में बोपन्ना से कहा कि वे इस फैसले का औचित्य बतायें।
देश के शीर्ष एकल खिलाड़ी प्रजनेश गुणेश्वरन और अंकिता रैना टॉप्स का हिस्सा नहीं है क्योंकि उनके नाम जकार्ता-पालेमबांग एशियाई खेलों के बाद से हटा दिये गये थे जिसमें उन्होंने कांस्य पदक हासिल किये थे।
दिलचस्प बात है कि एआईटीए ने शीर्ष खिलाड़ियों के दोबारा सूची में शामिल कराने के लिये पहल नहीं की। एआईटीए महासचिव हिरण्मय चटर्जी ने कहा, ‘‘नाम पहले ही सरकार के पास हैं। सरकार ने एशियाई खेलों के बाद से इसके बारे में कोई चर्चा नहीं की और हम टॉप्स में किसी को शामिल करने के लिये सरकार को बाध्य नहीं कर सकते। ’’
प्रजनेश, युकी भांबरी, रामकुमार रामनाथन, अंकिता, करमन कौर थांडी और प्रार्थना थोम्बरे 2018 एशियाई खेलों से पहले इस सूची में शामिल थे लेकिन इन खेलों के बाद केवल बोपन्ना और शरण को ही इसमें बरकरार रखा गया।
बोपन्ना से जवाब के बारे में चटर्जी ने कहा, ‘‘रोहन हमें जो कुछ भी लिखेगा, हम इसे सरकार के पास भेज देंगे। यह खिलाड़ियों का पेशेवर फैसला था और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते। शायद रोहन सोचता है कि अगर वह किसी अन्य खिलाड़ी के साथ खेलेगा तो उसकी रैंकिंग बेहतर होगी। लेकिन टोक्यो ओलंपिक से पहले ये दोनों फिर से एक साथ खेल सकते हैं और यह अच्छा ही होना चाहिए। ’’
बोपन्ना (40वीं रैंकिंग) और शरण (41वीं रैंकिंग) ने पुणे में सत्र के शुरूआती टाटा ओपन महाराष्ट्र टूर्नामेंट में जीत से अच्छी शुरूआत की थी लेकिन इसके बाद चार प्रतियोगिताओं में वे पहले ही दौर में बाहर हो गये।