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ऐतिहासिक गोल्ड जीतने के बाद बोली सिंधु, 'इस बार मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए तैयार थी'

सिंधु इससे पहले इस टूर्नामेंट में लगातार दो बार (2017 और 2018) फाइनल में हारी थीं।

Reported by: IANS
Published on: August 25, 2019 21:32 IST
PV Sindhu, Indian Shuttler- India TV Hindi
Image Source : @INDIASPORTS/TWITTER PV Sindhu, Indian Shuttler

बासेल (स्विट्जरलैंड)। बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने वाली पी वी सिंधु ने खिताबी जीत के बाद कहा कि इस बार वह अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए तैयार थीं। 

ओलम्पिक रजत पदक विजेता सिंधु ने रविवार को बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में दुनिया की चौथे नंबर की खिलाड़ी जापान की नोजोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराकर चैम्पियनशिप में पहली बार स्वर्ण पदक जीत लिया। 

सिंधु इससे पहले इस टूर्नामेंट में लगातार दो बार (2017 और 2018) फाइनल में हारी थीं। लेकिन, इस बार उन्होंने इस गतिरोध को तोड़ा और बैडमिंटन में पहली भारतीय विश्व चैम्पियन बन गईं। 

सिंधु ने इस जीत के बाद आईएएनएस से कहा, "इस बार मैं अपना खास देने के लिए तैयार थी। लेकिन मैंने इस मुकाबले को भी वैसे ही खेला, जैसा कि मैं पिछले मैच में खेली थी। मैंने केवल यही सोचा था कि यह मैच भी मेरे लिए केवल एक मैच की तरह ही है।" 

इस जीत के साथ ही सिंधु विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। वह इससे पहले बैडमिंटन विश्व चैम्पियनशिप में वर्ष 2017 और 2018 में रजत तथा 2013 व 2014 में कांस्य पदक जीत चुकीं हैं और उनके पांच पदक हो गए हैं।

उन्होंने कहा, "हां, मैंने सोचा कि यह फाइनल है और इमसें मुझे अच्छा करने की जरूरत है। लेकिन मैंने वैसा ही खेल का प्रदर्शन किया है, जैसा कि मैं क्वार्टर और सेमीफाइनल में खेली थी। मैंने हर चीज के लिए तैयारी की थी। जैसा कि आपको पता है कि जापानी खिलाड़ियों के खिलाफ हमेशा मुकाबला लंबा होता है, इसलिए मैं इसकी पहले से ही तैयारी करके आई थी।" 

यह पूछे जाने पर कि कैरोलिना मारिन और टॉप सीड अकाने यामागुची के बाहर होने से आपके लिए स्वर्ण पदक जीतना आसान हो गया, उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता है कि ऐसा है क्योंकि टॉप 10-15 खिलाड़ियों के खिलाफ खेलना एक जैसा ही है। यह इस चीज पर निर्भर करता है कि कौन उस दिन अच्छा खेलता है और मैच जीतता है।" 

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि ताई जू यिंग और ओकुहारा जैसे खिलाड़ी भी शानदार खिलाड़ी हैं, इसलिए इनके खिलाफ मुकाबला आसान नहीं होता है। जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि यह इस चीज पर निर्भर करता है कि कौन उस दिन अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं।" 

सिंधु ने जहां एक ओर इस खिताब को अपनी मां और हर भारतीय को समर्पित किया तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने इसके लिए अपने कोचों को भी धन्यवाद दिया। 

सिंधु ने कहा, "मैं अपनी नई कोच किम के साथ पिछले कुछ समय से काफी अच्छी तैयारी कर रही थी। उसके बाद मेरे खेल में काफी सुधार हुआ है। इसके लिए मैं अपने कोच का भी धन्यवाद देती हूं। इसके अलावा मेरे फिटनेस कोच श्रीकांत को भी मैं धन्यवाद देना चाहूंगी।" 

उन्होंने कहा, "टोक्यो ओलम्पिक अब ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन मुझे मैच दर मैच आगे बढ़ना है। ओलम्पिक क्वालीफिकेशन अभी जारी है और मुझे उम्मीद है कि मैं इसमें अच्छा करूंगी। लेकिन अभी मैं इस जीत का जश्न मनाना चाहती हूं।" 

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