आर्यन भाटिया डोप परीक्षण में नाकाम रहने वाले पहले भारतीय टेनिस खिलाड़ी बन गये हैं और उन्हें अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया गया है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सोलह वर्षीय भाटिया के पेशाब का नमूना का पिछले साल अक्टूबर में यहां फेनेस्टा ओपन राष्ट्रीय टेनिस चैंपियनशिप के दौरान लिया गया था। नाडा ने चैंपियनशिप के दौरान पहली बार टेनिस खिलाड़ियों के नमूने एकत्रित किये थे।
अखिल भारतीय टेनिस संघ के सचिव हिरणमय चटर्जी ने दावा किया कि यह लापरवाही का मामला है और चिकित्सक ने आर्यन को दवाई दी थी जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ थे। चटर्जी ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह लापरवाही का मामला है। गलती कर दी गयी। खिलाड़ी को जुकाम थी और उसने चिकित्सक के कहने पर दवा ले ली। उसे पता नहीं था कि इस दवा में प्रतिबंधित पदार्थ होते हैं। उसने पहले ही अपील कर ली है और इस पर जल्द सुनवाई होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम भी नाडा के सामने अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे कि उसे माफ करने के लिये कहेंगे क्योंकि वह जूनियर खिलाड़ी है और जागरूकता नहीं होने के कारण गलती हुई है।’’ नाडा ने इसके अलावा सात अन्य खिलाड़ियों को भी डोप परीक्षण में असफल रहने के कारण पिछले महीने अस्थायी तौर पर निलंबित किया था। इनमें संदीप कौर (पावरलिफ्टिंग), अंकित गोसाई (हैंडबॉल), जीतू थामस (वॉलीबाल), येपाबा (कैनोइंग), विशन सिंह (कयाकिंग और कैनोइंग) तथा शिवम कसाना (साइकिलिंग) शामिल हैं।
मध्यम दूरी की धाविका मोनिका चौधरी पर डोपिंग रोधी अनुशासन पैनल ने चार साल का प्रतिबंध लगाया है। उन्हें ईपीओ के लिये पाजीटिव पाया गया था।
नाडा ने इसके साथ ही कहा कि उसने पिछले महीने 675 डोप परीक्षण किये जिनमें 57 रक्त के नमूने शामिल हैं।