कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के स्पिनर कुलदीप यादव ने खुलासा किया उनके और केकेआर मैनेजमेंट के बीच 'कमजोर संचार' है। यादव ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर आकाश चोपड़ा से इस बारे में बात की थी।
चाइनामैन गेंदबाज ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ है जब उनको पता ही नहीं होता था कि वे कोलकाता नाइट राइडर्स की प्लेइंग 11 का हिस्सा हैं या नहीं। कुलदीप ने ये भी खुलासा किया कि ऐसा भी कई बार हुआ है जब उनको टीम में होना चाहिए था लेकिन उनको टीम में नहीं लिया जाता था और उनको इसकी वजह भी नहीं पता होती थी।
कुलदीप ने कहा, "जब कोच ने आपके साथ पहले भी काम किया हो और आपके साथ लंबे समय से हों, तो वो आपको बेहतर जानते हैं। लेकिन जब कम्यूनिकेशन ही कमजोर होगा तो ये मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी आपको पता भी नहीं होता कि आप खेलोगे या नहीं, या टीम आपसे क्या उम्मीद लगा कर बैठी है।"
यादव ने कहा, "कभी आपको लगता है कि आपको टीम में होना चाहिए, आप टीम के लिए मैच जीत सकते हो, लेकिन आपको पता ही नहीं होता कि आप क्यों नहीं खेल रहे। मैनेजमेंट 2 महीने के प्लान के साथ आती है, तो ये मुश्किल हो जाता है।"
कुलदीप यादव ने बताया कि अगर आप भारतीय प्लेइंग 11 का हिस्सा नहीं होते तो मैनेजमेंट आकर आपसे बात करता है। लेकिन केकेआर के साथ ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि उनको ऐसा महसूस हुआ कि टीम को उनकी प्रतिभा पर भरोसा नहीं रहा। कुलदीप ने कहा कि अब केकेआर के पास बहुत सारे स्पिनर्स हैं।
यादव ने कहा, "भारतीय टीम में जब आप नहीं खेलते तो मैनेजमेंट आपसे बात करता है, लेकिन ऐसा आईपीएल में नहीं होता। मुझे याद है कि मैंने आईपीएल से पहले फ्रेंचाइजी से बात की थी, लेकिन बीच में जो मैच हुए, किसी ने मुझे एक्सप्लेन नहीं किया। मैं थोड़ा शॉक्ड था। मुझे लगा कि उनको मुझ पर भरोसा नहीं है, उनको मेरी स्किल पर विश्वास नहीं है। ऐसा तब होता है जब टीम के पास बहुत सारे विकल्प होते हैं। केकेआर के पास अब बहुत सारे स्पिनर्स हैं।"
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कुलदीप ने ये भी बताया कि भारतीय कप्तान और ओवरसीज कप्तान काफी अलग होते हैं। भारतीय कप्तान से वे सीधे जा कर पूछ सकते हैं कि उनको प्लेइंग 11 में क्यों नहीं लिया लेकिन जब टीम का कप्तान ओवरसीज से हो तो कॉम्यूनिकेशन गैप बढ़ जाता है।