भारतीय क्रिकेट के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने पिछले साल क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था। इसी के साथ उन्होंने भारत की सबसे चर्चित आईपीएल लीग में भी खेलने से इनकार कर दिया था। युवराज अब विदेशों में जाकर टी20 लीग खेलते हैं। युवराज का आईपीएल का सफर ज्यादा खास नहीं रहा। आईपीएल की शुरुआत उन्होंने 2008 में बतौर किंग्स इलेवन पंजाब के कप्तान के रूप में की थी। दो साल टीम की कप्तानी करने के बाद युवराज से कप्तानी छील ली गई और उन्होंने कुमार संगाकार की कप्तानी में आईपीएल 2010 खेला। इसके बाद युवराज सिंह ने पंजाब की टीम को छोड़ने का फैसला किया।
2011 में युवराज को पुणे वॉरियर्स ने बतौर कप्तान खरीदा, लेकिन युवराज वहां भी कमाल नहीं कर सकें। उनकी टीम 9वें नंबर पर रही। युवराज ने उस आईपीएल में 343 रन बनाए थे। इसके बाद कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे युवराज ने दो साल आईपीएल में हिस्सा नहीं लिया। 2014 में आरसीबी ने युवराज को 14 करोड़ की मोटी रकम में खरीदा लेकिन एक साल से ज्यादा युवराज वहां भी नहीं टिके।
2015 में युवराज को दिल्ली ने 16 करोड़ में खरीदा, युवराज उस समय के सबसे महंगे खिलाड़ी थे। 2016 में युवराज 7 करोड़ रुपए में सनराइजर्स हैदराबाद की टीम में गए और 2017 में भी हैदराबाद ने उन्हें रिटेन किया। 2018 में किंग्स इलेवन पंजाब ने युवराज को वापस उनके बेस प्राइज में खरीदा लेकिन उन्हें मात्र 7 मैच खिलाकर अगले साल रिलीज कर दिया। युवराज ने अपना आखिरी आईपीएल मुंबई इंडियंस की टीम से 2019 में खेला।
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युवराज सिंह अपने आईपीएल करियर में कुल 6 टीमों के लिए खेला लेकिन वो विराट कोहली, रोहित शर्मा और महेंद्र सिंह धोनी जैसे किसी टीम के साथ ज्यादा समय नहीं बिता सके। इस पर अफसोस जताते हुए युवराज ने एक युट्यूब चैनल से कहा "मुझे कभी भी किसी एक फ्रेंचाइजी टीम की तरफ से 3-4 साल खेलने का मौका नहीं मिला। विराट (कोहली), (एमएस) धौनी, रोहित (शर्मा) ने एक ही फ्रेंचाइजी टीम के लिए काफी सालों तक खेला है। आपको एक आधार मिलता है लेकिन मैं कभी भी एक जगह स्थाई नहीं हो पाया।"
वहीं सबसे ज्यादा पंजाब के लिए 4 साल खेलने वाले युवराज सिंह ने बताया कि वह उस टीम से भागना चाहते थे क्योंकि टीम मैनेजमेंट उनकी बात नहीं सुन रही थी। युवराज ने कहा "एक जगह थी जहां से मैं भागना चाहता ता वो किंग्स इलेवन पंजाब रही। जब कभी भी मैंने खिलाड़ी की मांग की तो उन्होंने मुझे नहीं दिया। यह भी कमाल ही है कि जब मैंने छोड़ा तो उन्होंने उन्हीं सब खिलाड़ियों को खरीदा। मैं तो बस टीम में नाम का ही कप्तान बनाया गया था। मैं पंजाब की तरफ से खेलना पसंद करता था लेकिन उस फ्रेंचाइजी से मैं भागना चाहता था।"