नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज महिला क्रिकेट जगत में सबसे अधिक कमाई करने वाली खिलाड़ियों में से हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उन्हें पूरा एक सीजन एक ही बल्ले से साथ खेलना पड़ा था। बीबीसी की ओर से जारी एक वीडियो में मिताली ने कहा कि भले ही आज स्थिति बदल गई हो, लेकिन मैंने एक समय पर पूरा सीजन एक ही बल्ले के साथ खेला था।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इस साल महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के सालाना केंद्रीय अनुबंध में संशोधन किया है। मिताली का सालाना वेतन 22,500 डॉलर से 77,000 डॉलर हो गया है। हालांकि, इसके लिए मिताली को काफी लंबा सफर तय करना पड़ा।
भारतीय महिला टेस्ट और वनडे टीम की कप्तान मिताली ने 1999 में आयरलैंड के खिलाफ वनडे प्रारूप में पदार्पण किया था। मिताली ने कहा कि उस दौरान उनके पास निजी प्रायोजक नहीं थे और उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट किट खरीद कर दी थी, जो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी के पास होना बेहद जरूरी है।
मिताली ने कहा, "1999 में मुझे जब भारत के लिए खेलने का मौका मिला, मेरे पास प्रायोजक नहीं थे और मेरे पिता ने कड़ी मेहनत कर मुझे क्रिकेट किट लाकर दी, जो एक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी के पास होना जरूरी है।"
अपने सालाना वेतन में हुई बढ़ोतरी से मिताली बहुत खुश हैं, लेकिन वे उन पुराने दिनों को भी नहीं भूली हैं। उन्होंने कहा, "आज हम जिस स्थिति में हैं, उसे हासिल करने के लिए हमने बहुत संघर्ष किया है। एक समय ऐसा भी था, जब हम पूरा सीजन एक ही बल्ले के साथ खेलते थे और आज मैं एक सीरीज के लिए कई बल्ले इस्तेमाल कर सकती हूं।"
मिताली के सालाना अनुबंध में भले ही बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन उनकी आय बीसीसीआई की ओर से पुरुष क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए तय किए गए वार्षिक अनुबंध में सी-वर्ग में शामिल खिलाड़ियों से भी कम है।